रात में ही होते हैं सबसे ज्यादा रोड एक्सीडेंट, ये हैं कारण
सबसे ज्यादा रोड एक्सीडेंट रात में 12 बजे से लेकर सुबह पांच बजे के बीच होते हैं. यह ऐसा समय होता है जब इंसान पर नींद बेहद हावी रहती है. ऐसे में एक्सीडेंट से बचने के लिए नींद के लक्षणों को पहचान कर या तो ड्राइविंग से बचना जरूरी है या नींद को दूर करना जरूरी है. कैसे पहचानें नींद के इन संकेतों को?
पांच सेकेंड की झपकी
रात में खाली सड़कें होने की वजह से आम तौर पर लोग गाड़ी तेज चलाते हैं. 100 की स्पीड में 5 सेकेंड के लिए भी आंख लगे तो गाड़ी 175 मीटर से ज्यादा का फासला तय कर चुकी होती है.
एक लेन में न रह पाना
अंधेरे की वजह से आंखों पर जोर तो पड़ता ही है. वैसे नींद का पहला संकेत गाड़ी की पोजिशन से मिल जाता है. थका हुआ ड्राइवर आम तौर पर गाड़ी एक लेन में नहीं चला पाता है. वह कभी बाएं तो कभी दाएं जाने लगता है.
धीमी प्रतिक्रिया
नींद या बेहद थकान की स्थिति में चालक को सिग्नल, साइन दिखते तो हैं, लेकिन वह उनके मुताबिक फौरन रिएक्ट नहीं कर पाता. थकान का पहला असर मस्तिष्क के सूचनाओं को प्रोसेस करने की प्रक्रिया पर पड़ता है. यह प्रक्रिया धीमी हो जाती है.
ध्यान एक ही जगह अटक जाना
गाड़ी चलाते वक्त आम तौर पर इंसान बीच बीच में बाएं दाएं देखता है, बीच बीच में मिरर भी चेक करता है. लेकिन नींद की स्थिति में आंखों की पुतलियां एक ही जगह केंद्रित होने लगती है. इसे वॉर्निंग साइन समझना चाहिए.
पिछले दो किलोमीटर
गाड़ी चलाते वक्त अगर कोई अपने आप से यह पूछे कि पिछले दो किलोमीटर का रास्ता कैसा था, तो थकान का सही अंदाजा लग जाता है. अलर्ट दिमाग बता सकता है कि पिछले दो किलोमीटर में आपने क्या देखा, सड़क कैसी थी. लेकिन थका हुआ मस्तिष्क यह नहीं बता पाता.
पलकें झपकना
अगर रात में गाड़ी चलाते वक्त बार बार पलकें बोझिल होने लगें, आप आंखें मलने लगें या आंखों को जोर लगाकर बड़ा करने की कोशिश करने लगें तो सावधान हो जाइए.
ऐसे में क्या करें
अगर शरीर बहुत ज्यादा थका हो तो गाड़ी चलाने से पहले कम से कम एक दो घंटे की नींद निकाल लीजिए. एक दो घंटे की देरी जिंदगी भर के अफसोस से कहीं बेहतर है. यात्रा के दौरान नींद के संकेत मिलने पर ही गाड़ी सुरक्षित जगह पर किनारे लगाएं और आराम कर लें. चाय, कॉफी, तेज संगीत के भरोसे न बैठें.