मेल नॉदर्न व्हाइट राइनो की अंतिम नस्ल को विदाई
आखिरी मेल नॉदर्न व्हाइट राइनो का नाम सूडान रखा गया था. 45 साल का सूडान केन्या के नेशनल पार्क में कड़ी हिफाजत में रहता था. बुढ़ापे की वजह से उसके शरीर में कई घाव हो चुके थे. वह ठीक से चल फिर भी नहीं पा रहा था. उसे तड़पता देख पार्क प्रशासन ने सूडान को बेहोश करते हुए आखिरी विदाई देने का फैसला किया.
बीते एक दशक से सूडान की हिफाजत करने वाले रेंजर, पशु चिकित्सक और पार्क कर्मचारी गैंडे को अंतिम विदा देने पहुंचे. मृत्यु देने से पहले सभी ने सूडान को सहलाया. इस दौरान कर्मचारियों की आंखों में आंसू थे. सूडान भी प्यार भरी थपकियों से खुश हुआ. इसके बाद उसे युथेनिसिया दिया गया. पार्क के कई कर्मचारी आखिरी पलों में दूर चले गए. वे सूडान को अपनी आंखों के सामने मरता हुआ नहीं देख पाए.
1970 और 1980 के दशक में शिकारियों ने यूगांडा, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, सूडान और चाड से नॉदर्न व्हाइट राइनो का सफाया कर दिया. चीन की पारंपरिक दवाओं के चक्कर में इन गैंडों का खूब शिकार हुआ. तस्करों ने यमन को अड्डा बनाया. लेकिन सूडान की मदद से वैज्ञानिक इस प्रजाति के आखिरी गैंडों को काफी समय तक बचाए रखने में सफल रहे. सूडान ने अपना परिवार बसाया.
1970 के दशक में नॉदर्न व्हाइट गैंडों के एक ग्रुप को यूरोप में चेकोस्लोवाकिया लाया गया. सूडान भी इसी झुंड में था. तब वह बच्चा था. चेकोस्लोवाकिया के नेशनल पार्क में कृत्रिम गर्म माहौल में कई साल गुजारने के बाद सूडान को झुंड समेत केन्या भेजा गया. 2009 में सूडान अन्य नॉदर्न सफेद गैंडों के साथ पूर्वी केन्या के ओल पेटेजा संरक्षित पार्क में पहुंचा. गैंडों को घास से लहलहाते मैदानी इलाके में रहना पसंद है. केन्या में सूडान और उसके साथियों के लिए ऐसा ही इलाका चुना गया. संरक्षकों को उम्मीद थी कि ऐसे माहौल में प्रजनन की बेहतर संभावनाएं होगी. लेकिन अफ्रीका वापस लौटने तक सूडान बूढ़ा हो चुका था.
सूडान की मौत के बाद अब नॉदर्न व्हाइट राइनो कुनबे में दो मादाएं बची हैं. यह अपनी प्रजाति की नुमाइंदगी करने वाली आखिरी जीव हैं. वैज्ञानिक क्लोनिंग के जरिए इस प्रजाति को किसी तरह बचाने का उपाय खोज रहे हैं.
अब केन्या के ओल पेटेजा में सूडान की बेटी नाजिन और पोती फातू बचे हैं. स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण ये दोनों प्रजनन नहीं कर सकतीं. अब नॉदर्न सफेद गैंडों को पुर्नजीवित करने के लिए दूसरी प्रजाति के गैंडों का सहारा लेना होगा. सेरोगेसी के जरिए उनके शरीर में नाजिन या फातू का अंडाणु डालने की कोशिश की जाएगी.