इंटरनेट की दुनिया का भारतीय खलनायक
‘द मोस्ट हेटेड पर्सन ऑन द इंटरनेट’, यूट्यूब पर अजीत पई को लेकर जारी किए गए वीडियो का कुछ ऐसा ही टाइटल था. अमरीका के फ़ेडरल कम्यूनिकेशन कमिशन (एफ़सीसी) के चीफ़ अजीत पई को बहुत से लोग ‘इंटरनेट के खलनायक’ के तौर पर देखते हैं. एफ़सीसी को आप अमेरिका का दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ट्राई (TRAI) मान सकते हैं. अमरीका में नेट न्यूट्रैलिटी से जुड़े एक क़ानून को रद्द करने का फ़ैसला किया गया है. इंटरनेट पर नेट न्यूट्रैलिटी की गारंटी देने वाले इस अमरीकी क़ानून को खत्म करने के पक्ष में अजीत पई के वोट देने से दो हफ्ते पहले ये वीडियो स्वीडिश प्रोड्यूसर और विवादास्पद व्यंग्यकार ने यूट्यूब पर जारी किया था. दो हफ्ते में ही इस वीडियो को तीस लाख से भी ज़्यादा बार देख लिया गया. अजीत पई का वोट इस लिहाज से निर्णायक था क्योंकि इससे नेट न्यूट्रैलिटी के पैरोकार तीन मतों के मुक़ाबले दो पर रह गए.
अप्रवासी भारतीय परिवार में पैदा हुए अजीत पई ने शिकागो यूनिवर्सिटी से क़ानून और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई की है. 44 साल के अजीत पई का करियर अमरीकी सरकार और कॉरपोरेट वर्ल्ड दोनों में ही शानदार रहा है, ख़ासकर दूरसंचार के क्षेत्र में. इंटरनेट पर लगाई जाने वाली पाबंदियों की अजीत पई ने हमेशा से मुख़ालफत की.
क्या है इंटरनेट न्यूट्रैलिटी?
इंटरनेट यूज़र्स के लिए समान स्पीड और समान कीमत पर इंटरनेट उपलब्ध रहने का विचार ही इंटरनेट न्यूट्रैलिटी यानी इंटरनेट तटस्थता है. इसे आप इस तरह समझ सकते हैं. मसलन, वॉट्सऐप के डेटा पैक की कीमत 65 रुपये और ट्विटर वाले डेटा पैक की कीमत 250 रुपये हो. जबकि दोनों मोबाइल ऐप के इस्तेमाल के लिए आपको एक ही इंटरनेट की जरूरत होती है. ऐसे में कंपनियां इंटरनेट की उपलब्धता को कीमत से प्रभावित करके आपके चुनने की शक्ति को प्रभावित कर सकती हैं. दरअसल, नेट न्यूट्रैलिटी (इंटरनेट तटस्थता) वो सिद्धांत है जिसके तहत माना जाता है कि इंटरनेट सर्विस प्रदान करने वाली कंपनियां इंटरनेट पर हर तरह के डेटा को एक जैसा दर्जा देंगी. इंटरनेट सर्विस देने वाली इन कंपनियों में टेलीकॉम ऑपरेटर्स भी शामिल हैं. इन कंपनियों को अलग अलग डेटा के लिए अलग-अलग कीमतें नहीं लेनी चाहिए. चाहे वो डेटा अलग-अलग वेबसाइटों पर विजिट करने के लिए हो या फिर अन्य सेवाओं के लिए.