यहाँ लोग करते हैं बुलेट मोटरबाइक की पूजा
हमारा भारत एक ऐसा देश है जहाँ लोग पेड़-पौधे, मिट्टी, पानी, जानवर से लेकर आकाश, धरती तक की पूजा करते हैं. लेकिन क्या कभी आपने किसी बाइक को देवता की तरह पूजते देखा है?
चोटिला गांव के रहने वाले ओम बन्ना की मृत्यु 1988 में देवल वाली जगह पर ही उगे एक पेड़ से बाइक टकराने के कारण हुई थी. इसके बाद पुलिस ने बाइक को थाने में रख दिया था. लेकिन अगले दिन बाइक पुलिस थाने में अपने आप स्टार्ट हो गई और वापस उसी जगह पहुँच गयी जहाँ एक्सीडेंट हुआ था. पुलिस वापस बाइक को थाणे ले गयी लेकिन हर रोज जब यही होने लगा तो इसे पुत्र की इच्छा मानते हुए ओम बन्ना के पिताजी ने उसी जगह पर बाइक को रखवाने का इंतजाम करवा दिया.
ओम बन्ना देवल पर सुबह सात बजे आरती की जाती है. इसके बाद शाम को भी सात बजे आरती की जाती है. इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते है. आरती व पूजन यूं तो ओम बन्ना के परिजन ही करते है. कई बार उनके नहीं पहुंचने पर एक ब्राह्मण की ओर से आरती की जाती है. आरती करते समय घंटे-घडि़याल के साथ ही ढोल व थाली भी बजाए जाते है. यहां बैठे ढोल वाले ओम बन्ना के भजन गाते है. यहां धूप-दीप करने के लिए भी गांव के ही कुछ लोग लगे हुए है.
ओम बन्ना देवल पर आने वाले अधिकांश श्रद्धालु मन्नत मांगने या मन्नत पूरी होने की बात करते है. सूरज, नागौर क्षेत्र, मध्य प्रदेश से आए श्रद्धालुओं से बात करने पर उन्होंने ओम बन्ना देवल आने के बाद उनकी इच्छा पूरी होने की बात कही. कई लोग अपने मित्रों व विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में ओम बन्ना के बारे में पढक़र देवल पर मत्था टेकने की बात कहते हैं. ओम बन्ना देवल पर आने वाले श्रद्धालुओं से बातचीत में एक ही बात सामने आई कि ओम बन्ना उनकी इच्छा पूरी करते है.
कितनी है सच्चाई
एक श्रद्धालु ने बाइक अपने आप देवल पर आने की बात कही, लेकिन इसके बाद नकार दिया. हालांकि यह किवदंती हर कोई बताता है कि ओम बन्ना की मृत्यु के बाद उनकी बाइक अपने आप पुलिस स्टेशन से देवल पर आई थी. एक बुजुर्ग से बात करने पर उनका कहना था कि ओम बन्ना ने उनको उम्मीद से ज्यादा दिया है. इस कारण वे परिवार के साथ यहां आते है. ओम बन्ना के देवलोक गमन होने के समय केरला थाना हुआ करता था. जबकि रोहट में पुलिस चौकी थी. वहां का स्टॉफ तीस वर्ष में बदल चुका है. इसके बावजूद वहां कुछ लोगों को ओम बन्ना के सम्बन्ध में किवदंती पता है, लेकिन उस समय मौजूद नहीं होने के कारण वे स्पष्ट नहीं बताते हैं.
मान्यता है कि यहां पर दिव्य शक्ति है. बहुत से लोग ये भी दावा करते हैं कि उन्होंने ओम बन्ना से मिलती-जुलती आकृति को दुर्घटनास्थल के पास देखा है. लोग कहते हैं कि इस मार्ग पर अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती थीं लेकिन पिछले कुछ सालों में इसमें काफी कमी आर्इ है. बुलेट बाबा के मंदिर में दूर-दूर से श्रद्घालु आते हैं और मनौतियां मांगते हैं. ओम बन्ना की एनफील्ड बुलेट को एक शीशे के आवरण में आज भी मंदिर में रखा गया है, जो लोगों की आस्था का केन्द्र है.