विश्व स्वास्थ्य दिवस: पिछले 7 साल में 1 करोड़ से ज्यादा बच्चों की 5 साल से कम उम्र में मौत

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विश्व स्वास्थ्य दिवस-2019 की थीम ‘universal health covrage’:Everyone everywhere यानी (सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल) हर एक के लिए, हर कहीं’ खास तौर पर महिलाओं और लड़कियों के लिहाज से अधिक खास है.एक विकासशील राष्ट्र के रूप में भारत तेजी से बदलाव और तरक्की की ओर अग्रसर है.देखा जाए तो देश में स्वास्थ्य का क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहा है.कई ऐसी बीमारियाँ हैं जिनपर भारत ने काफी हद तक काबू पा लिया है, और उनसे मरने वाले लोगों की संख्या में गिरावट आई है.हालांकि, जन्मजात विकलांग्ता का खतरा आज भी बना हुआ है.

आंकड़ों की मानें तो 2008 से 2015 के बीच देश में 1.13 करोड़ बच्चों की मृत्यु उनके पांचवें जन्मदिन से पहले हो गई थी.55 प्रतिशत से अधिक शिशुओं का जीवन 28 दिन पूरे होने से पहले ही समाप्त हो गया.कुछ माताएं बिना जटिलताओं के गभार्वस्था के सभी चरण पार कर लेती हैं लेकिन दुभार्ग्यवश कुछ माताओं को संक्रमण से जूझना पड़ता है जो उनके साथ-साथ नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य को भी खतरे में डाल देता है. विभिन्न जटिलताओं में पोलियो, सेरेब्रल पाल्सी, समय से पहले जन्म, प्रीक्लेम्पसिया, क्लबफुट और पेट दर्द आदि के नाम लिए जा सकते हैं.ऐसे कुछ केस के बारे में यहाँ जानिये-

  1. सेरेब्रल पाल्सी

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सेरेब्रल पाल्सी की रिपोर्ट के अनुसार देश में लगभग 33,000 लोगों को मस्तिष्क पक्षाघात है. हालांकि, वैश्विक स्तर पर हर 500 जीवित जन्म पर सेरेब्रल पाल्सी का 1 मामला सामने आता है. भारत में सेरेब्रल पाल्सी के 14 में से 13 मामले गभार्वस्था या जन्म के बाद पहले महीने में होते हैं. वास्तव में, गभार्वस्था के पहले दिन से लेकर अंत तक मां और बच्चा साथ बढ़ते हैं, साथ सोते हैं और साथ खाते हैं.यह वह दौर है, जब मां को कई तरह के तनाव और दर्द से गुजरना होता है, गभार्वस्था के दौरान ऐसे कई लक्षण हैं जो विकसित हो रहे शिशु के मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकते हैं और आगे चल कर प्रमस्तिष्क पक्षाघात का कारण बन सकते हैं. सेरेब्रल पाल्सी के विभिन्न प्रकार होते हैं. जैसे कि स्पास्टिक सेरेब्रल पाल्सी, डिस्किनेटिक सेरेब्रल पाल्सी, मिक्सड और अटैक्सिक सेरेब्रल पाल्सी।

स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली की रिपोर्ट्स के अनुसार अप्रैल 2017 से मार्च 2018 तक 5.55 लाख गर्भपात दर्ज किए गए, जिनमें से 4.7 लाख सरकारी अस्पतालों में हुए. पेट दर्द होना सामान्य है, हालांकि कुछ मामलों में यह गर्भपात भी कर सकता है.गभार्वस्था के अन्य लक्षणों में कमर दर्द, ऐंठन के साथ या बिना रक्तस्राव, 5-20 मिनट का संकुचन, जननांग में तेज ऐंठन, अप्रत्याशित थकान जैसे लक्षण हैं।

  1. समय पूर्व जन्म :

प्रीटर्म बेबी वह है जो गभार्वस्था के 24 वें-37 वें सप्ताह के बीच पैदा होता है.अन्य रिपोर्ट के साथ प्रीटर्म बर्थ पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की ग्लोबल एक्शन रिपोर्ट कहती है कि भारत में समय से पहले जन्म दर 3,519,100 है और कुल संख्या का लगभग 24 प्रतिशत. आंकड़ों को देखते हुए, भारत 60 फीसदी के साथ समयपूर्व जन्म में दुनिया के शीर्ष 10 देशों में सबसे ऊपर है.

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इस जटिलता से बचने के लिए विशेषज्ञीय सलाह यही दी जाती है कि महिलाओं को गभार्वस्था के दौरान नियमित स्वास्थ्य जांच के लिए जाना चाहिए और समुचित गतिविधि बनाए रखने के लिए जीवन शैली में बदलावों पर चिकित्सकीय सलाह का पूरे तौर पर पालन करना चाहिए।

  1. प्रीक्लेम्पसिया:

गभार्वस्था के दौरान प्रीक्लेम्पसिया शिशु के विकास को धीमा कर देता है.गभार्वस्था के 20 सप्ताह के बाद उच्च रक्तचाप का पता चलने पर प्रोटीन्यूरिया यानी यूरिन में प्रोटीन प्रीक्लेम्पसिया का कारण हो सकता है. इसके कई लक्षण है, जैसे प्रीक्लेम्प्लेसाइक सिरदर्द, मतली, सूजन, पेट दर्द और देखने में परेशानी आदि. अगर समय पर निदान किया जाता है, तो मां को उपचार मिल सकता है, अन्यथा यह यकृत की विफलता और हृदय संबंधी समस्याओं जैसी गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है

  1. क्लबफुट :

आज की भागदौड़भरी जीवनशैली और तनाव के कारण गर्भवती महिलाओं के गर्भ में पल रहे बच्चे और भी अनेक असामान्यताओं के शिकार हो रहे हैं. ऐसी असामान्यता में से एक क्लबफुट है जो एक जन्मजात आथोर्पेडिक विसंगति है.यह एक जन्मजात विकलांगता भी है, जिसमें पैर अंदर या बाहर की तरफ मुड़ा हुआ होता है. क्लबफुट के कारण हालांकि, स्पष्ट नहीं हैं पर वैज्ञानिकों का मानना है कि यह गर्भ में एम्नियोटिक द्रव की कमी के कारण है. ध्यान देने योग्य बात है कि एम्नियोटिक द्रव फेफड़ों, मांसपेशियों और पाचन तंत्र के विकास में मदद करता है. जिन लोगों का पारिवारिक इतिहास ऐसे केस का रहा है, वे उच्च जोखिम में होते हैं, इसलिए महिलाओं को पहले से सावधान रहते हुए नियमित स्वास्थ्य जांच करवानी चाहिए।

  1. हृदय दोष:

इनमें वे जन्मजात हृदय विकार हैं, जो हृदय या प्रमुख रक्त वाहिकाओं के असामान्य गठन से संरचनात्मक समस्याओं का कारण बनता है.विभिन्न प्रकार के जन्मजात हृदय दोष होते हैं जैसे सेप्टल डिफेक्ट, एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट, कंपलीट एट्रियोवेंट्रीकुलर कैनाल डिफेक्ट (सीएवीसी), और वाल्व डिफेक्ट.गभार्वस्था के दौरान, हृदय में इन दोषों के साथ बच्चे का जन्म हो सकता है.डॉक्टर गभार्वस्था के दौरान इन विकारों की पहचान कर सकते हैं लेकिन बच्चे के जन्म से पहले निदान संभव नहीं है।

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