जानिये आने वाले समय की गाड़ियों के नए फीचर्स के बारे में

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दुनिया दिन पर दिन हाईटेक होती जा रही है. कार कंपनियां भी इसी तेजी के साथ हर दिन नए प्रयोग और नई तकनीक आजमाते हुए नए मॉडल लॉन्च कर रही हैं. यहां जानिए कि अब आपको अपनी नई कार में क्या कुछ नया मिल सकता है.

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नयी कारों में अब कीलैस सिस्टम, मतलब बगैर चाबियों वाला सिस्टम काफी प्रचलित हो रहा है. इस सिस्टम में आपको गाड़ी स्टार्ट करने के लिए चाबी की जरूरत नहीं पड़ती. इसका एक खतरा यह है कि कई बार लोग अपनी गाड़ियों का इंजन बंद करना भूल जाते हैं. नए सिस्टम में इस गलती से निपटने के लिए एक अलार्म लगाया गया है जो चाबी दूर होने पर भी इंजन चालू रहने का संकेत देता है.

स्टॉप स्टार्ट टेक्नोलॉजी

गाड़ी का ईंधन बचाने और उत्सर्जन घटाने के मकसद से इस नई तकनीक को सबसे पहले हाइब्रिड कारों में शुरू किया गया था. जब किसी रेडलाइट सिग्नल पर आपका पैर ब्रेक पर पड़ता है, तो स्टॉप स्टार्ट टेक्नोलॉजी के चलते इंजन अगले ही पल बंद हो जाता है. फिर जैसे ही ब्रेक से पैर हटा, इंजन एक बार दोबारा स्टार्ट हो जाता है.

टर्बोचार्ज इंजन

टर्बोचार्ज इंजन का मकसद भी गाड़ी की ईंधन क्षमता को बेहतर करना है. पहले टर्बोचार्ज इंजन का सिर्फ स्पोर्ट्स कार, जीपों या ट्रकों में इस्तेमाल किया जाता था. साल 2008 तक महज 10 फीसदी गाड़ियों में ही टर्बोचार्ज इंजन होता था. 2018 तक आते-आते यह संख्या 45 फीसदी तक पहुंच गई है.

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नेचुरल एस्पिरेटिड इंजन

नेचुरल एस्पिरेटिड इंजन का जमाना अब जाने लगा है. नॉन टर्बोचार्रजर V6 और V8 इंजन का इस्तेमाल करने वाले ट्रक भी अब छोटे टर्बोचार्ज इंजन पर भरोसा कर रहे हैं. 2019 में शेवरले सिल्वराडो के कुछ मॉडलों में टर्बो 4-सिलिंडर इंजन नजर आएगा.

जिनॉन और एलईडी लाइट्स

हेलोजन बल्ब की जगह अब गाड़ियों में जिनॉन और एलईडी लाइट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है. जिनॉन लाइट्स, हेलोजन के मुकाबले अधिक चमकदार होती हैं. वहीं एलईडी, जिनॉन के मुकाबले ज्यादा चमकदार और लंबे समय तक चलती हैं. 2008 में सिर्फ 24 फीसदी गाड़ियों में एलईडी या जिनॉन लाइट का इस्तेमाल होता था, जो 2018 में 51 फीसदी हो गया.

टायर इनफ्लेटर किट

अगर आपको अपनी नई कार में स्टेपनी न दिखे तो परेशान न हों. नई गाड़ियों में इसे टायर इनफ्लेटर किट से रिप्लेस किया जा रहा है. साल 2009 तक ये किट सिर्फ 5 फीसदी गाड़ियों में होती थी, लेकिन 2018 तक यह 23 फीसदी मॉडलों में आ गई. यह किट गाड़ी के वजन को हल्का रखती है, साथ ही डिक्की में जगह भी ज्यादा रहती है.

डिजिटल पैनल

आजकल की गाड़ियों में रफ्तार का पता लगाने के लिए डिजिटल स्पीडोमीटर लगाए जा रहे हैं. इसके साथ ही जीपीएस, फोन चार्जर और अधिक से अधिक जानकारी देने के लिए हाईटेक डिजिटल पैनल को गाड़ियों में जगह दी गई है. फोर्ड, होंडा, फोल्क्सवागेन, मर्सिडीज जैसी कंपनियों ने पहले इस्तेमाल होने वाले एनालोग मीटर सिस्टम को बाय-बाय कह दिया है.

इलैक्ट्रॉनिक पार्किंग ब्रेक

गाड़ियों में आए इलैक्ट्रॉनिक पार्किंग ब्रेक ने भी अब गाड़ियों के परंपरागत हैंड ब्रेक को खत्म कर दिया है. इसके चलते कार निर्माताओं को नए प्रयोग करने के लिए गाड़ी के भीतर काफी जगह मिलने लगी है. नई मिड रेंज गाड़ियों में यह सिस्टम मिलने लगा है.

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