धरती का भी दिल धड़कता है, वैज्ञानिको ने सुनी धड़कन जैसी आवाज

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1960 के दशक से ही कई महाद्वीपों के भूकंप वैज्ञानिकों ने एक रहस्यमय धड़कन जैसी आवाज का पता लगाया है. जो हर 26 सेकंड में सुनाई पड़ती है. लेकिन पिछले 60 वर्षों में कोई भी यह पता लगाने में सक्षम नहीं है कि यह ध्वनि वास्तव में क्या है. रिसर्च के बाद सामने आया कि यह ध्वनि तरंगें दक्षिणी या भूमध्यवर्ती अटलांटिक महासागर में कहीं से आती हैं और उत्तरी गोलार्ध में गर्मियों के महीनों के दौरान इनकी तीव्रता अधिक होती है.

तूफानों के दौरान भी यह काफी तेज रहती है. लेकिन कई वजहों से शोधकर्ताओं द्वारा की गयी यह खोज लगभग दो दशकों तक अज्ञात रही. यह फिर प्रकाश में तभी आई जब कोलोराडो विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट एक स्टूडेंट ने एक बार फिर “दिल की धड़कन” का पता लगाया और इस पर शोध करने का फैसला किया.

उन्होंने हर संभव नज़रिये से इन तरंगों और डेटा का विश्लेषण किया. उन्होंने उपकरणों से जांच करके तरंगों के स्रोत को अफ्रीका के पश्चिमी तट से दूर गिनी की खाड़ी में एक स्थान को पाया.

माइक रिट्जवोलर और उनकी टीम ने भी ओलिवर और होल्कोम्ब के शोध पर और गहराई से काम किया और 2006 में इस रहस्यमयी तरंग पर एक अध्ययन प्रकाशित किया. लेकिन वे फिर भी यह समझाने में सक्षम नहीं थे कि यह वास्तव में क्या था. एक सिद्धांत का दावा है कि यह लहरों के कारण होता है, जबकि दूसरा कहता है कि यह क्षेत्र में ज्वालामुखी गतिविधि के कारण है, लेकिन अभी तक यह सही साबित नहीं हुआ है. तो क्या वाकई यह मान लें कि धरती का भी एक दिल है जो लगातार धड़कता रहता है?

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