इस शिक्षा मंत्री को क्यों लेना पड़ गया इंटरमीडिएट में एडमिशन
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार में जब जगरनाथ महतो को शिक्षा मंत्री बनाया गया था तभी यह बात उठी थी कि दसवीं पास शिक्षा मंत्री राज्य की शिक्षा व्यवस्था को कितना दुरुस्त कर पाएगा. योग्यता को लेकर कसे गए इस तंज से जगरनाथ महतो इस कदर आहत हुए कि अपनी इस कमी को दूर करने का निश्चय कर लिए. सोमवार को जब वे एडमिशन के सिलसिले में बोकारो जिले के देवी महतो स्मारक इंटर महाविद्यालय, नावाडीह पहुंचे तो सब को लगा वे हमेशा की तरह कामकाज का जायजा लेने आए होंगे. लेकिन वे सीधे काउंटर पर गए और 1100 रुपये का भुगतान कर इंटर में नामांकन का फॉर्म खरीद लिए.
इस तरह शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो 25 साल बाद फिर पढ़ाई की शुरुआत करेंगे. वे अब इंटर आर्ट्स के विद्यार्थी बनेंगे. पढ़ाई-लिखाई किसी व्यक्ति का व्यक्तिगत मामला है. वैसे भी भारतीय लोकतंत्र में ऐेसे कई उदाहरण मिल जाएंगे जिनसे यह स्पष्ट है कि राजनीतिज्ञ बनने के लिए उच्च शिक्षा कतई जरूरी नहीं है, लेकिन जिस साफगोई से महतो ने अपनी बात कही वह बहुत से लोगों के लिए मिसाल बन सकती है.
शिक्षा के युग में एक मिसाल
महतो कहते हैं, “पढ़ने के लिए कोई उम्र सीमा नहीं होती. जिस समय मुझे शिक्षा मंत्री बनाया गया, उसी समय कुछ लोगों ने व्यंग्य किया था कि दसवीं पास शिक्षा मंत्री क्या करेगा. शपथ ग्रहण के बाद कही गई इस बात से मुझे काफी ठेस पहुंची थी. इसी का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए मैंने एडमिशन लिया है. हम पढ़ेंगे भी और पढ़ाएंगे भी. मैं अपनी पढ़ाई के साथ-साथ शिक्षा मंत्रालय भी संभालूंगा. क्लास भी करूंगा, खेती-किसानी का काम भी करूंगा और जनता का काम भी करूंगा. इसके साथ ही राज्य की शिक्षा व्यवस्था में सुधार का काम भी जारी रहेगा.”
स्वयं में सुधार करके शुरुआत कर रहा हूँ।
मैट्रिक पास करने के बाद, परिस्थितियों ने मुझे शिक्षा से दूर किया था…आज उसी दूरी को पाटने की अभिलाषा ने प्रेरित किया है..
इंटरमीडिएट के शिक्षा हेतु , मैंने अपना नामांकन #देवीमहतो_इंटर_कॉलेज_नावाडीह में किया है। pic.twitter.com/YwUXF6oklT— Jagarnath Mahto (घर में रहें – सुरक्षित रहें) (@Jagarnathji_mla) August 10, 2020
हालांकि जगरनाथ महतो ही राज्य के अकेले ऐसे शिक्षा मंत्री है जो ग्रेजुएट नहीं हैं. पिछले दिनों उन्होंने केंद्र की नई शिक्षा नीति से असहमति जताई थी. उन्होंने कहा था कि झारखंड में सरकारी स्कूलों के बच्चों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए नई नीति बनाई जाएगी. इसके लिए शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी राज्यों की नीतियों का अध्ययन किया जाएगा. हम झारखंड की शिक्षा व्यवस्था दिल्ली से बेहतर बनाएंगे.