महाशिवरात्रि में क्यों करना चाहिए रात को जागरण, जानिए महत्व
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व बेहद उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. इस वर्ष महाशिवरात्रि 21 फरवरी को मनाई जाएगी. इस दिन पांच ग्रहों की राशि पुनरावृत्ति होने के साथ शनि व चंद्र मकर राशि, गुरु धनु राशि, बुध कुंभ राशि तथा शुक्र मीन राशि में रहेंगे.
यह विशेष संयोग लगभग 59 साल बाद बन रहा है, जो साधना-सिद्धि के लिए खास महत्व रखता है. मान्यता है कि इस दिन शिव और पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था. ऐसे में आइए जानते हैं इस दिन भोलेबाबा को प्रसन्न करने के लिए किस शुभ मुहूर्त में पूजा करना फलदायक है.
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
21 तारीख को शाम को 5 बजकर 20 मिनट से 22 फरवरी, शनिवार को शाम सात बजकर 2 मिनट तक रहेगा.
शिवरात्रि की पूजा विधि-
– शिव रात्रि के दिन सबसे पहले सुबह स्नान करके भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान करवाएं.
– उसके बाद भगवान शंकर को केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं.
– इस दिन पूरी रात दीपक जलाकर रखें.
– भगवान शंकर को चंदन का तिलक लगाएं.
– तीन बेलपत्र, भांग धतूर, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं. सबसे बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर प्रसाद बांटें.
– पूजा में सभी उपचार चढ़ाते हुए ॐ नमो भगवते रूद्राय, ॐ नमः शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नमः मंत्र का जाप करें.