नये नागरिकता कानून के मुताबिक़ कौन है भारतवासी, यहाँ जानिये
गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि किसी भी भारतीय नागरिक को नए नागरिकता कानून की वजह से असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा. नागरिकता के लिए भारत में जन्म से जुड़ा कोई भी प्रमाणपत्र मान्य होगा. यह प्रमाणपत्र जन्म तिथि या जन्म स्थान से जुड़ा हो सकता है. जन्म से जुड़े प्रमाणपत्रों के लिए कई कॉमन दस्तावेज मान्य होंगे जिससे सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी भारतीय नागरिक अनावश्यक रूप से परेशान न हो. अशिक्षित व्यक्ति जिनके पास कोई दस्तावेज नहीं होंगे उनके लिए सक्षम अधिकारी उन्हें गवाहों को पेश करने की अनुमति दे सकते हैं या कोई स्थानीय सबूत जिसपर समुदाय के सदस्यों की अनुशंसा हो स्वीकार किया जाएगा.
ये हैं नए नियम
– 2004 में किए गए संशोधनों के अनुसार जिसका जन्म भारत में 26 जनवरी, 1950 को या उसके बाद लेकिन एक जुलाई, 1987 से पहले हुआ हो वो भारतीय नागरिक.
– जिसका जन्म भारत में एक जुलाई 1987 को या उसके बाद लेकिन 3 दिसंबर, 2004 से पहले हुआ हो और जन्म के समय उनके माता या पिता भारत के नागरिक हो, वो वास्तविक भारतीय नागरिक हैं.
– 10 दिसंबर, 1992 को या उसके बाद लेकिन तीन दिसंबर, 2004 से पहले भारत के बाहर जन्मे लोग, जिनके माता या पिता उसके जन्म के समय भारत के नागरिक थे.
– किसी का जन्म भारत में तीन दिसंबर, 2004 को, उसके बाद हुआ हो और माता-पिता दोनों भारत के नागरिक हैं या उनमें से कोई एक भारत का नागरिक है तथा दूसरा उसके जन्म के समय अवैध प्रवासी नहीं है.
नागरिकता कानून के 2004 के संशोधनों के मुताबिक असम में रहने वालों को छोड़कर देश के अन्य हिस्से में रहने वाले ऐसे लोग जिनके माता या पिता भारतीय नागरिक हैं, लेकिन अवैध प्रवासी नहीं हैं, उन्हें भी भारतीय नागरिक ही माना जाएगा. जिनका जन्म 1987 के पहले भारत में हुआ हो,जिनके माता-पिता का जन्म उस साल के पहले हुआ है, उन्हें कानून के तहत भारतीय माना जाएगा . असम के मामले में भारतीय नागरिक होने की पहचान के लिए 1971 को आधार वर्ष बनाया गया है.
क्या है असम में लागू एनआरसी
असम में एनआरसी मूल रूप से राज्य में रहने वाले भारतीय नागरिकों की सूची है. असम में NRC की प्रक्रिया 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से शुरू हुई थी. असम में NRC में उन लोगों के नाम शामिल किए गए, जो 25 मार्च 1971 के पहले से असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं.