G7 का हिस्सा ना होते हुए भी कैसे भारत इसमें शामिल हो रहा है, यहाँ जानिये
फ्रांस में G7 (ग्रुप ऑफ़ सेवन) समूह देशों का 45वां शिखर सम्मेलन होने जा रहा है. इस बार G7 सम्मेलन में भारत भी हिस्सा ले रहा है, हालांकि भारत इस समूह का हिस्सा नहीं है. तो उसे सम्मेलन में क्यों बुलाया गया है? दरअसल वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोष से भारत का स्थान काफी अहम है इसके साथ ही फ्रांस के साथ भारत के बेहतर संबंध हैं, इन्हीं वजहों से भारत को इस बार एलीट क्लब के सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है. इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री वातावरण, जलवायु, समुद्री सुरक्षा और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन पर सेशन को संबोधित करेंगे.
PM @narendramodi met @UN Secretary General Mr. @antonioguterres on the sidelines of the @G7 Summit. The two leaders had fruitful discussions on a wide range of subjects. pic.twitter.com/JuGsftQKRT
— PMO India (@PMOIndia) August 25, 2019
इस बार भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका को भी इस बार विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है. अफ्रीकी देश सेनेगल और रवांडा भी इस बार आमंत्रित हैं.
ग्रुप ऑफ सेवन (जी 7) में सात देश शामिल हैं. ये देश हैं- फ्रांस, अमेरिका, इटली, कनाडा, जर्मनी, जापान और ब्रिटेन. शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के राष्ट्र प्रमुख, यूरोपीयन कमीशन और यूरोपीयन काउंसिल के अध्यक्ष शामिल होते हैं.
जी7 की पहली बैठक साल 1975 में हुई थी. तब सिर्फ 6 देश इस ग्रुप में शामिल थे. फिर अगले साल कनाडा भी इस ग्रुप में शामिल हो गया. इस तरह ये जी6 से बन गया जी7.
G7 शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के मंत्री और नौकरशाह उन मद्दों पर बातचीत करते हैं, जिनका वैश्विक महत्व होता है. इसमें आर्थिक, विदेश, सुरक्षा और विकास जैसे मुद्दे शामिल होते है. इसके अलावा वैसे मुद्दे जिनपर राजनीतिक कार्रवाई की जरूरत होती है या आम लोगों से जुड़ा होता है उन विषयों को लेकर भी चर्चा होती है.