स्मृति शेष: एक्टर बनने के ख्वाहिशमंद खय्याम कैसे बने संगीतकार
मशहूर संगीतकार खय्याम का सोमवार 19 अगस्त को मुंबई के सुजॉय अस्पताल में निधन हो गया. 92 वर्षीय संगीतकार के मौत की वजह कार्डिएक अरेस्ट बताई जा रही है. संगीतकार खय्याम भले ही बॉलीवुड में अपने ने मधुर धुनों से लगभग पांच दशकों तक लोगों को अपना दीवाना बनाया लेकिन वह संगीतकार नहीं, बल्कि अभिनेता बनना चाहते थे.
ख्य्याम साहब का असल नाम
ख्य्याम साहब का मूल नाम मोहम्मद जहूर खय्याम हाशमी था. उनका जन्म अविभाजित पंजाब में नवांशहर जिले के राहोन गांव में 18 फरवरी 1927 को हुआ था. बचपन से ही ख्य्याम जी का रूझान गीत-संगीत की ओर था और वह फिल्मों में काम करके शोहरत की बुलंदियों तक पहुंचना चाहते थे. ख्य्याम अक्सर अपने घर से भागकर फिल्म देखने शहर चले जाया करते थे. उनकी इस आदत से उनके घर वाले काफी परेशान रहा करते थे. ख्य्याम की उम्र जब महज 10 वर्ष की थी तब वह बतौर अभिनेता बनने का सपना संजोय अपने घर से भागकर अपने चाचा के घर दिल्ली आ गये. ख्य्याम के चाचा ने उनका दाखिला स्कूल में करा दिया लेकिन गीत-संगीत और फिल्मों के प्रति उनके आर्कषण को देखते हुये उन्होंने ख्य्याम को संगीत सीखने की अनुमति दे दी .
ख्य्याम ने संगीत की अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंडित अमरनाथ और पंडित हुस्नलाल-भगतराम से हासिल की. इस बीच उनकी मुलातात पाकिस्तान के मशहूर संगीतकार जी.एस.चिश्ती से हुयी. जी.एस चिश्ती ने ख्य्याम को अपनी रचित एक धुन सुनाई और ख्य्याम से उस धुन के मुखड़े को गाने को कहा. ख्य्याम की लयबद्ध आवाज को सुन जी.एस.चिश्ती ने ख्य्याम को अपने सहायक के तौर पर अनुबंधित कर लिया .
‘ये है जिंदगी‘ में किया था एक्टिंग
लगभग छह महीने तक जी.एस.चिश्ती के साथ काम करने के बाद ख्य्याम वर्ष 1943 में लुधियाना वापस आ गए और उन्होंने काम की तलाश शुरू कर दी. द्वितीय विश्व युद्ध का समय था और सेना में जोर.शोर से भर्तियां की जा रही थीं. ख्य्याम सेना में भर्ती हो गये. सेना में वह दो साल रहे. खय्याम एक बार फिर चिश्ती बाबा के साथ जुड़ गये. बाबा चिश्ती से संगीत की बारीकियां सीखने के बाद खय्याम अभिनेता बनने के इरादे से मुंबई आ गए. वर्ष 1948 में उन्हें बतौर अभिनेता एस. डी.नारंग की फिल्म ‘ये है जिंदगी’ में काम करने का मौका मिला लेकिन इसके बाद बतौर अभिनेता उन्हें किसी फिल्म में काम करने का मौका नहीं मिला. इस बीच ख्य्याम बुल्लो सी.रानी अजित खान के सहायक संगीतकार के तौर पर काम करने लगे .