ये परदे हवा से चुरा लेंगे कार्बनडाईऑक्साइड, मिलेगी साफ़ हवा
लंदन की एक आर्किटेक्चर फर्म ईको लॉजिक स्टूडियो ने ऐसे बायो परदे तैयार किए हैं, जो वातावरण में मौजूद कार्बन डाईऑक्साइड को खींच सकते हैं। इन्हें शहरी परदे के रूप में तैयार किया गया है। फोटो सिंथेटिका नाम के ये परदे हर दिन वातावरण से करीब एक किलो कार्बन डाईऑक्साइड खींच सकते हैं, जो 20 बड़े पेड़ों द्वारा अवशोषित किए जाने वाले कार्बन डाईऑक्साइड के बराबर है।
रात को तारों सी चमक
इस तरह का हर मॉड्यूल एक फोटोबायोरिएक्टर की तरह काम करेगा। डिजिटली डिजायन वाले बायोप्लास्टिक से बना यह परदा दिन में सूर्य की रोशनी का इस्तेमाल इसमें रखे माइक्रो शैवाल को भोजन उपलब्ध कराने के लिए करेगा और रात को चमक बिखेरेगा। इसमें बिना छनी हवा नीचे रहती है, जबकि साफ हवा पानी से होकर बुलबुलों के रूप में ऊपर आ जाती है। यह कार्बन-न्यूट्रल बायो-कर्टेन अतिसूक्ष्म शैवाल का इस्तेमाल वातावरण में मौजूद दूषित हवा से कार्बन अवशोषित करने के लिए करता है और ऑक्सीजन को छोड़ता है।
यह शैवाल वातावरण की गंदगी और कार्बन डाईऑक्साइड को अपने भीतर जमाकर करके बायोमास में बदल देता है। इसका इस्तेमाल बायोप्लास्टिक बनाने के लिए कच्चे माल के तौर पर किया जाता है। शैवाल में मौजूद सायनो बैक्टीरिया सेल हवा में मौजूद जहरीले कणों को खा जाते हैं और साफ हवा को ऊपर भेज देते हैं। इतना ही नहीं वे कार्बन डाईऑक्साइड से कार्बन और ऑक्सीजन को भी अलग कर देते हैं।
जहां पर ये परदे लगे होते हैं, वहां की हवा जब इनके संपर्क में आती है या इनसे होकर गुजरती है तो शैवाल तत्काल ही उससे कार्बन डाईऑक्साइड को अलग कर देता है। ताजी ऑक्सीजन निकलने पर ही फोटो सिन्थेसिस की प्रक्रिया पूरी होती है। इन परदों को इस तरह से बनाया गया है कि इन्हें बिल्डिंग की साइड से लटकाया जा सकता है। इसके 16 मॉड्यूल होते हैं और हरेक दो मीटर चौड़ा और सात मीटर लंबा होता है। जो बायो प्लास्टिक की दो पारदर्शी लेयर से बना होता है। ये सभी आपस में जुड़े होते हैं और इनके बीच में शैवाल होता है। जरूरत और प्रकार के हिसाब से बायो कर्टेन की कीमत 23,000 रुपये से डेढ़ लाख रुपए प्रति वर्ग मीटर तक हो सकती है।