जब कबूतर ने बचाया तेज गाडी चलाने के जुर्माने से
जर्मनी अपने हाइवे के लिए जाना जाता है, जहां आप जितना चाहें उतनी तेजी से गाड़ी दौड़ा सकते हैं. भारत से जर्मनी आने वाले लोग अकसर यह सवाल करते हैं कि क्या यहां वाकई कोई स्पीड लिमिट नहीं है. दरअसल हर सड़क के लिए स्पीड के अलग नियम होते हैं. हाइवे के कुछ हिस्सों पर सच में कोई स्पीड लिमिट नहीं होती, कहीं 120 किलोमीटर प्रति घंटे की तो कहीं 80 की भी. अगर आप गाड़ी शहर के अंदर चला रहे हैं, तो हो सकता है कि 30 की लिमिट भी हो.
ऐसे में गाड़ी चलाते समय सड़क पर लगे साइनबोर्ड पर हमेशा ध्यान देना होता है. अगर लिमिट को पार किया तो भारी जुर्माना भरना पड़ता है. सड़क पर जगह जगह कैमरे लगे होते हैं जो तेजी से आ रही गाड़ी को पहचान लेते हैं और तस्वीर ले लेते हैं. कैमरा जोर से फ्लैश भी करता है ताकि गाड़ी चलाने वाले को पता चल जाए कि उसका चालान हो गया है. इस पूरी प्रक्रिया में ट्रैफिक पुलिस के किसी कर्मचारी की जरूरत नहीं पड़ती, ना नहीं ड्राइवर को गाड़ी रोकनी पड़ती है. तस्वीर समेत चालान सीधे घर पहुंच जाता है.
आप चालान की राशि देने से सिर्फ उसी सूरत में बच सकते हैं अगर तस्वीर में आपका चेहरा पहचान में ना आ रहा हो. जाहिर है तस्वीर में गाड़ी का नंबर भी दिख रहा होता है लेकिन हो सकता है कि आपकी गाड़ी कोई और चला रहा हो. ऐसे में आपसे जुर्माना नहीं लिया जा सकता.
सख्त नियमों वाले जर्मनी में ओवर-स्पीडिंग कर रहा एक व्यक्ति इसलिए जुर्माने से बच गया क्योंकि स्पीड कैमरे में उसके चेहरे की जगह कबूतर की तस्वीर कैद हो गई.
हाल ही में जर्मनी के एक छोटे से शहर फीएरसेन में एक व्यक्ति 30 जोन में गाड़ी 54 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ा रहा था. ऐसे में उसे 105 यूरो यानी लगभग आठ हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता था. लेकिन जैसे ही स्पीड कैमरे ने तस्वीर खींची एक सफेद कबूतर कार के सामने आ गया और तस्वीर में ड्राइवर का चेहरा छिप गया. ट्रैफिक पुलिस ने काफी सोच विचार के बाद फैसला किया कि व्यक्ति से फाइन नहीं लिया जाएगा. चुटकी लेते हुए पुलिस ने अपने प्रेस रिलीज में लिखा, “लगता है ड्राइवर को बचाने के लिए ऊपर वाले ने कोई चाल चली है.” पुलिस ने आगे यह भी लिखा कि वैसे तो कबूतर पर भी जुर्माना लगना चाहिए लेकिन वह उसके साथ भी रियायत बरतेगी.