इस सैटेलाईट से कुछ नहीं छुपा, दिन रात रखेगा पाकिस्तानी आतंकियों पर नजर
इसरो ने पीएसएलवी-सी46 को उसके 48वें मिशन पर सुबह साढे पांच बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से लॉन्च किया। पीएसएलपी46 ने आरआईसैट-2बी को लो अर्थ ऑर्बिट में सफल तौर पर स्थापित किया। इसरो द्वारा जारी बयान में कहा गया कि अलग होने के बाद, RISAT-2B के सौर सरणियों को स्वचालित रूप से और ISRO टेलीमेट्री ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (ISTRAC) को बेंगलुरु में तैनात किया गया। साथ ही कहा, ‘आने वाले दिनों में उपग्रह को अपने अंतिम परिचालन विन्यास में लाया जाएगा।’
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी46 के साथ भारत के हर मौसम के रडार इमेजिंग पृथ्वी निगरानी उपग्रह ‘आरआईसैट-2बी’ का सफल प्रक्षेपण किया। यह प्रक्षेपण बुधवार सुबह साढ़े 5 बजे किया गया। इसरो ने बताया कि पीएसएलपी46 ने आरआईसैट-2बी को पृथ्वी की निचली कक्षा (लो अर्थ ऑर्बिट) में सफल तौर पर स्थापित किया। यह उपग्रह दिन रात घने बादल और बारिश में भी निगरानी रख सकता है। इस जासूसी सेटेलाईट के जरिये भविष्य में बालाकोट एयर स्ट्राइक जैसी किसी भी घटना को कोई भी देश छुपा नहीं पायेगा। आरआईसैट-2बी आरआईसैट-2 की जगह लेगा जो पहले से ही पाकिस्तान स्थित आतंकी कैम्पों पर नजर रखता आया है।
पीएसएलवी-सी46 के अपने 48वें मिशन पर सुबह साढे पांच बजे यहां से 130 किलोमीटर से अधिक दूर स्थित श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से प्रक्षेपित किया गया। इस उपग्रह का भार 615 किलोग्राम है और इसे प्रक्षेपण के करीब 15 मिनट बाद पृथ्वी की निचली कक्षा में छोड़ा गया। यह सैटेलाइट खुफिया निगरानी, कृषि, वन और आपदा प्रबंधन सहयोग जैसे क्षेत्रों में मदद करेगा। आरआईसैट-2बी के बाद, इसरो चंद्रयान-2 पर काम करेगा जिसका 9 से 16 जुलाई के बीच प्रक्षेपण का कार्यक्रम है। इसरो 6 सितंबर तक चंद्रयान-2 के रोवर को (चंद्रमा की सतह पर) उतारने को लेकर आशान्वित है।