ऑनलाइन शॉपिंग में आपके रिटर्न किए गए प्रोडक्ट्स का क्या करती है कम्पनी, यहाँ जानें
आज की डेट में जब शॉपिंग के लिए जाने का वक्त लोगों को कम ही मिलता है, ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स का धंधा काफी तेजी से फल फूल रहा है. लेकिन दिक्कत यह है कि इसमें आप चीजों को तस्वीरों के आधार पर ही देखते हैं, परखते हैं और फिर आर्डर करते हैं. ऐसे में कई बार चीजें अपने मन मुताबिक़ नहीं मिलती. कपडे और खासकर जूते चप्पल लोगों को फिट नहीं आने के वजह से उन्हें रिटर्न करना पड़ता है. ऐसे में उन प्रोडक्ट्स का क्या हुआ, जिनको आप कम्पनी को रिटर्न कर देते हैं? हक़ीक़त यह है कि इनमें से ज़्यादातर माल कूड़े के ढेर में चला जाता है.
कूड़े के ढेर में
ऑनलाइन दुकानों के स्टॉक से एक बार माल की सप्लाई हो जाने के बाद उनका यही हश्र होता है. हर साल केवल अमरीका में ही ग्राहक करीब 3.5 अरब उत्पाद लौटाते हैं. लौटाए हुए माल को उनकी मंजिल तक पहुंचाने की विशेषज्ञ कंपनी ऑप्टोरो के मुताबिक इनमें से सिर्फ़ 20 फीसदी उत्पाद ही असल में ख़राब होते हैं.
अगर देखा जाए तो खुदरा विक्रेताओं से ग्राहकों तक माल की सप्लाई और उनकी वापसी आर्थिक और पर्यावरण दोनों नज़रिये से दोषपूर्ण है. वापस आने वाले कई सामान इस्तेमाल में आने से पहले ही कूड़े के ढेर में चले जाते हैं. इन उत्पादों में महंगे संसाधनों का इस्तेमाल होता है जो अब दुर्लभ हो रहे हैं, मगर हम उनको यूं ही फेंक रहे हैं. सामान की वापसी से कार्बन उत्सर्जन बढ़ता है और यह कंपनियों के लिए भी बड़ा सिरदर्द है.
खुले डिब्बे और खुले फीते के साथ नये जूते की जिस जोड़ी को वापस भेजा जाता है, उनको अलग से संभालने की ज़रूरत पड़ती है. कई कंपनियों के पास वापसी के माल को बारीकी से संभालने की तकनीक नहीं है. उनके लिए फायदे का सौदा यही है कि डिस्काउंट देकर उनको सस्ते में बेच दिया जाए. या फिर दूसरा विकल्प यह है कि उनको ट्रकों में भरकर कूड़े के ढेर तक पहुंचा दिया जाए.
5 अरब पाउंड का नुकसान
अनुमान है कि हर साल 5 अरब पाउंड का माल वापस किया जाता है. इसकी वजह से लगभग 1.5 करोड़ मीट्रिक टन कार्बन डाईऑक्साइड वायुमंडल में घुलता-मिलता है.
खुदरा दुकानदार अक्सर वापसी में आए माल को स्टोर या गोदाम में रखवा देते हैं. वहां माल कई महीनों तक पड़ा रहता है, क्योंकि उनके पास यह पता करने की तकनीक नहीं होती कि उनका क्या किया जाए. आखिरकार वे बिचौलियों के जरिये थोक व्यापारी तक पहुंचकर उसे (सस्ते में) बेचने की कोशिश करते हैं. यह पर्यावरण के लिए बहुत बुरा है क्योंकि देश भर में बहुत ज़्यादा माल भेजा जा रहा है. यह खुदरा दुकानदारों के लिए भी बुरा है जो इससे शायद ही कोई पैसा कमा पाते हैं.
पर्यावरण की क्षति
कपड़े और जूते बनाने की प्रक्रिया पहले से ही पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक है. मिसाल के लिए फैब्रिक बनाने में जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल होता है, रंगने में ज़हरीले रसायनों का प्रयोग होता है. कारखानों में बड़े पैमाने पर इनके उत्पादन में कार्बन डाईऑक्साइड की भारी मात्रा उत्सर्जित होती है. तैयार उत्पाद दुनिया में कई बार एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता है, जिसमें ईंधन की ज़रूरत पड़ती है. अंत में वे सिर्फ़ इसलिए कूड़े के ढेर में चले जाते हैं क्योंकि वे खरीदार को फ़िट नहीं हुए या उसे पसंद नहीं आए. इस समस्या की बहुत चर्चा नहीं होती.
हम जानते हैं कि फ़ैशन आइटम बनाने में लगने वाले कपास, चमड़े और ऊन के उत्पादन में वन्यजीवों के आवास को नुकसान होता है. इनकी उत्पादन प्रक्रिया से जलवायु परिवर्तन होता है और महासागर प्रदूषित हो रहे हैं. इंटरनेशनल यूनियन फ़ॉर कन्जर्वेशन ऑफ़ नेचर की साल 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक औद्योगिक जल प्रदूषण का 17 से 20 फीसदी हिस्सा कपड़ों की रंगाई के कारण होता है.
फ़ैशन सप्लाई चेन
ऑप्टोरो एक सॉफ्टवेयर को इसका समाधान मानता है. इस सॉफ्टवेयर से खुदरा दुकानदारों और उत्पादकों को बचे हुए माल को आसानी से बेचने में मदद मिलती है. खुदरा दुकानदारों को एक साथ कई विकल्प मिलते हैं, जैसे- माल को दोबारा बेचने के लिए Blinq नामक वेबसाइट. वे अपने माल को दान में भी दे सकते हैं, दूसरी दुकानों तक भेज सकते हैं, अमेज़ॉन या ईबे तक पहुंचा सकते हैं. ऑप्टोरो का अनुमान है कि इसे अपनाकर कूड़े के ढेर में जाने वाले माल को 70 फीसदी तक कम किया जा सकता है.
इस तकनीक में कई डेटा स्रोतों का इस्तेमाल करके पता लगाया जाता है कि अलग-अलग आइटम का क्या किया जाए. मिसाल के लिए यदि किसी जूते की नई जोड़ी को केवल बॉक्स से बाहर निकाला गया है और वह एकदम सही हालत में है तो उसे सीधे वेबसाईट पर डाल दिया जाएगा.
ऑप्टोरो के सह-संस्थापक टोबिन मूर और एडम विटरेलो को यह विचार 11 साल पहले आया था. उन दिनों वे लोगों के गैराज में पड़े सामान को ईबे पर बेचने में मदद करने के तरीके पर काम कर रहे थे. कई सारे खुदरा स्टोर के लोग उनके पास आए और कहा कि पिछले सीजन के लौटाए हुए ढेरों जूते उनके पास हैं. उन्हें नहीं मालूम कि उनका क्या करें. क्या वे उनको बेचने में मदद कर सकते हैं. मूर और विटरेलो को अहसास हुआ कि बड़े खुदरा विक्रेताओं के लिए वे बड़े बाज़ार की तलाश कर सकते हैं. फिर उन्होंने ऑप्टोरो सॉफ्टवेयर बनाना शुरू कर दिया.
स्त्रोत : बीबीसी