प्राइवेसी को सेफ रखने के लिए गूगल दे रहा है आपको ये हथियार
टेक कंपनियों पर यूजर्स की प्राइवेसी और डेटा सुरक्षित नहीं रखने के आरोप लगते रहे हैं। इस वजह से गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों को कई देशों में बड़ा जुर्माना भी झेलना पड़ा है। गूगल अब इस दिशा में सुधार की कोशिशों में लग गई है। इसी पहल के तहत कंपनी अब अपने यूजर्स को उनसे जुड़े डेटा को ऑटो डिलीट करने की सुविधा देने जा रही है।
अगर आप गूगल सर्च इंजन, गूगल मैप्स या यूट्यूब पर कुछ भी सर्च करते हैं तो निश्चित समय अंतराल के बाद ये डेटा अपने आप डिलीट हो जाएंगे। कंपनी इसके लिए तीन महीने और 18 महीने के दो विकल्प देने जा रही है। अगर आप चाहते हैं कि आपके सर्च रिजल्ट के डेटा कुछ समय बाद अपने आप खत्म हो जाएं तो आप सेटिंग्स में जाकर यह फीचर ऑन कर सकते हैं। अगर आपने तीन महीने का विकल्प चुना तो 3 महीने से ज्यादा पुराने आपके सभी सर्च रिजल्ट अपने आप डिलीट हो जाएंगे। 18 महीने का विकल्प चुनने पर 18 महीने पुराने रिजल्ट डिलीट होंगे। मैनुअली डेटा डिलीट करने का विकल्प पहले से ही यूजर को दे दिया गया है।
गूगल पर आरोप लगते रहे हैं कि वह अपने यूजर्स के लोकेशन को ट्रैक करती है। नवंबर में कंपनी पर आरोप लगे थे जब यूजर्स लोकेशन हिस्ट्री को स्विच ऑफ भी कर देते हैं तब भी कंपनी इससे जुड़े डेटा स्टोर करती रहती है। इस महीने की शुरुआत में कंपनी ने यह भी कहा था कि उसके स्मार्ट स्पीकर का इस्तेमाल करने वाले लोगों के वॉइस कमांड कुछ तकनीकी अधिकारी सुन सकते हैं। इस पर कंपनी का काफी आलोचना हुई थी।
मौजूदा समय में गूगल की वेब हिस्ट्री और लोकेशन ट्रैकिंग को सेटिंग में जाकर पाउज किया जा सकता है। ऐसा हर अकाउंट के लिए करना होता है। अब कंपनी ये डेटा ऑटोमेटिक डिलीट करने की सुविधा देने जा रही है। यूट्यूब पर सर्च रिजल्ट डिलीट करने की सुविधा तो मिलेगी लेकिन संभावना जताई जा रही है कि लोगों को अभी वॉच हिस्ट्री डिलीट करने का ऑप्शन नहीं मिलेगा।
विज्ञापन के लिए यूजर्स डेटा इस्तेमाल के आरोप लगते रहे हैं
गूगल और फेसबुक सहित तमाम इंटरनेट कंपनियों पर आरोप लगते हैं कि वे लोगों के डेटा का इस्तेमाल विज्ञापन के लिए करते हैं। यूजर के सर्च रिजल्ट से कंपनी को यह अंदाजा लगाने में सहूलियत होती है कि वह किस तरह के प्रोडक्ट की तलाश में हैं। इसी तरह सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर लाइक, कमेंट आदि की गतिविधि से भी यूजर की पसंद-नापसंद कंपनियों को पता चलती है। वे इसके हिसाब से यूजर को वेबसाइटों पर विज्ञापन दिखाती हैं।