इंसानों के बजाय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को तरजीह दे रही हैं दिग्गज कम्पनियां

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टेक्नोलॉजी की दिग्गज कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में अपनी दक्षता का बखान करती नहीं थकती हैं। लेकिन, अमेजॉन मशीन लर्निंग के मामले में चुपचाप काम करती है। कंपनी की कामयाबी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एल्गोरिथम (कंप्यूटर का सिस्टम) का उपयोग उसके काम में चलता है।

अमेजॉन के विशाल वेयरहाउस (अमेरिका में 100 और अन्य देशों में 60) उसके 207 अरब डॉलर के ऑनलाइन बिजनेस के दिल की धड़कन हैं। सिएटल के बाहर ऐसे ही एक वेयरहाउस में सामान के पैकेट कन्वेयर बेल्ट पर मोपेड की रफ्तार से दौड़ते हैं। यहां मानव बहुत कम दिखाई पड़ते हैं। इसकी बजाय फुटबॉल मैदान के बराबर क्षेत्र में छह फीट लंबी क्यूबिकल के आकार के हजारों पीले यूनिट पॉड्स बैठे हैं। हजारों रोबोट हलचल करते हैं। पूरी प्रक्रिया एल्गोरिथम पर चलती है।

रोबोट फील्ड के बाहर मानवीय कर्मचारी तैनात हैं। इनमें से कुछ पॉड्स पर रोबोट्स के लाए आइटम उठाते हैं। कुछ अन्य लोग खाली पॉड्स पर सामान पैक करते हैं और आगे भेज देते हैं। अमेजॉन के चीफ रोबोटिसिस्ट ब्रेड पोर्टर ने ये एल्गोरिथम डिजाइन किए हैं। कंपनी के बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर का एक अन्य हिस्सा अमेजॉन वेब सर्विसेस (एडब्लूएस) है। इसके सहारे कंपनी का 26 अरब डॉलर का क्लाउड कंप्यूटिंग बिजनेस चलता है।

कंपनी का नया एल्गोरिदम अमेजॉन गो (कैशियर लैस स्टोर) है। इसके तहत सैकड़ों कैमरों का समूह ऊपर से स्टोर में शॉपिंग करने वालों पर नजर रखता है। ये विजुअल डेटा को 3डी प्रोफाइल में बदलते हैं जिसका उपयोग खरीदारों के हाथों और बांहों की ट्रैकिंग में होता है। ये सिस्टम शॉपर्स की गतिविधियां ट्रैक करता है।

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