मिशन चंद्रयान 2 से नासा भेजेगा चाँद पर अपने उपकरण
भारत का चंद्रयान 2 मिशन अगले महीने प्रक्षेपित किया जाएगा। यह नासा के लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर अरै को चंद्रमा तक लेकर जाएगा। नासा के अधिकारियों के मुताबिक इससे वैज्ञानिकों को चंद्रमा तक की दूरी का सटीक माप लेने में मदद मिलेगी। इसकी जानकारी पिछले हफ्ते अमेरिका के टेक्सास में हुए चंद्र एवं ग्रह विज्ञान सम्मेलन में खुद नासा ने दी। चंद्रयान 2 और इजराइली यान बेरेशीट दोनों नासा के उपकरण लेकर जाएंगे। चंद्रयान-दो को जीएसएलवी मार्क-3 प्रक्षेपण यान द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा। जिसका वजन 4 टन है। इस अभियान में नई-नई प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल और परीक्षण के साथ कई सारे नए प्रयोग किए जाएंगे।
क्या है रेट्रोरिफ्लेक्टर
रेट्रोरिफ्लेक्टर ऐसे परिष्कृत शीशे होते हैं जो धरती से भेजे गए लेजर रोशनी संकेतों को प्रतिबिंबित करते हैं। ये सिग्नल यान की मौजूदगी का सटीक तरीके से पता लगाने में मदद कर सकते हैं जिसका प्रयोग वैज्ञानिक धरती से चंद्रमा की दूरी का सटीक आकलन करने के लिए कर सकते हैं।
पहले अक्तूबर में रवाना होने वाला था मिशन
गौरतलब है कि पिछले साल चंद्रयान दो के टलने की बात सामने आई थी। इस मिशन को पिछले साल साल अक्तूबर में रवाना होना था, लेकिन बाद में इसके 2019 में जाने की घोषणा की गई थी। चांद की दूसरी यात्रा के दौरान भारत की योजना इसके दक्षिण ध्रुव के करीब सॉफ्ट लैंडिंग कर छह पहियों वाले छोटे से मून रोवर के जरिये चांद की सतह से जुड़ी जानकारियां हासिल करने की है।
अमेरिका, रूस और चीन भी कर चुके हैं सॉफ्ट लैंडिंग
हालांकि इससे पहले कहा जा रहा था कि भारत के चंद्रयान 2 मिशन में देरी का लाभ इजराइल के मिशन को मिलेगा। उसका बेरेशीट मिशन चंद्रमा पर पहले उतरने में कामयाब हो जाएगा। हालांकि अब तक रूस, अमेरिका और चीन चांद की सतह पर कामयाब सॉफ्ट लैंडिंग कर चुके हैं। एशियाई देशों की बात करें तो भारत और इजरायल के बीच चांद तक जल्द से जल्द पहुंचने की कोशिशें जारी हैं।
चंद्रमा की सतह पर उतरेंगे रोवर व लैंडर
चंद्रयान 2 मिशन में भारत निर्मित एक रोवर व लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरेंगे। यह रोवर चंद्रमा की सतह से मिट्टी व चट्टान के नमूनों को विश्लेषण के लिए एकत्र कर चंद्रयान-2 ऑर्बिटर की मदद से धरती पर भेजा जाएगा।