रोज एक अंडा दूर भगाएगा कैंसर को

Spread the love

ब्रिटेन में वैज्ञानिकों के एक दल ने लंबे अरसे तक शोध करने के बाद ऐसे अंडों का उत्पादन करने में सफ़लता प्राप्त की है जिनमें कैंसर का ख़ात्मा करने वाले प्रोटीन होंगे. इन अंडों से निकलने वाले वाले प्रोटीन से कैंसर के ख़ात्मे के लिए दवाइयां बनाई जा सकती हैं और इस प्रक्रिया के तहत दवाइयां बनाने का ख़र्च प्रयोगशालाओं में बनाई जाने वाली दवाइयों के मुकाबले सौ गुना सस्ता होगा. इसके लिए मुर्गियों में जेनेटिक बदलाव करके वह जीन डाले गए हैं जो कि कैंसर रोधी प्रोटीन पैदा करते हैं.

सामान्य तरीके से ही रहती हैं ये ख़ास मुर्गियां

शोध के दौरान इन मुर्गियों को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है क्योंकि पॉल्ट्री फार्म के मुर्गियों की तुलना में इन मुर्गियों का ख़ास ध्यान रखा जाता है. कुछ पेशेवरों की टीम इन मुर्गियों की ख़ास देखभाल करती है, इनके खाने-पीने का ध्यान रखा जाता है, और आम मुर्गियों के मुक़ाबले ये काफ़ी आरामदायक ढंग से रहती हैं. ये मुर्गियां सामान्य अंदाज में ही अंडे दे रही हैं.

इससे पहले भी बकरियों, खरगोशों और मुर्गियों में जेनेटिक बदलाव करके उनके दूध एवं अंडों से रोगों की रोकथाम करने वाले प्रोटीन हासिल करने के लिए कोशिशें होती रही हैं. लेकिन देखा जाए तो  ये नया तरीका काफ़ी प्रभावशाली और किफ़ायती है, साथ ही पुराने तरीकों की अपेक्षा इससे कहीं ज़्यादा मात्रा में प्रोटीन का उत्पादन किया जा सकता है. मुर्गियों की मदद से प्रोटीन का उत्पादन फैक्ट्रियों में होने वाले उत्पादन की अपेक्षा दस गुना से लेकर सौ गुना सस्ता है. ऐसे में उम्मीद है कि दवाइयों के उत्पादन में होने वाले कुल ख़र्च से कम से कम दस गुना कम ख़र्च पर इन अंडों का उत्पादन कर सकते हैं.

READ  हापुड़ की बेटियों ने जीता अमेरिका में ऑस्कर अवार्ड

क्यों सस्ता है ये तरीका?

कैंसर की दवा तैयार करने के लिए जीवाणुरहित प्रयोगशालाओं का निर्माण करना होता है. जिसमें काफी ज्यादा खर्चा आता है. जिसकी वजह से ये दवाएं महंगी हो जाती हैं. वहीं, इन दवाइयों वाले अंडों के लिए केवल सामान्य मुर्गियों के बाड़े की ज़रूरत होती है. कई बीमारियों की वजह ये होती है कि बीमार व्यक्ति का शरीर प्राकृतिक रूप से कोई एक कैमिकल या प्रोटीन का उत्पादन नहीं कर पाता है. ऐसे में शरीर में एक निश्चित प्रोटीन की आपूर्ति करने वाली दवाओं से इन बीमारियों की रोकथाम की जा सकती है.

फार्मास्युटिकल कंपनियां ऐसी दवाओं को प्रयोगशालाओं में बनाती हैं जो कि एक बेहद ख़र्चीली प्रक्रिया है. जब कि इस शोध में मुर्गियों के अंडों के सफेद हिस्से को बनाने वाले डीएनए के हिस्से में उस इंसानी जीन को डाला जिससे कैंसर रोधी प्रोटीन पैदा होता है. जब इन मुर्गियों से हुए अंडों को तोड़कर सफे़द हिस्से की जांच की गयी तो पता चला कि उनमें काफ़ी ज़्यादा मात्रा में कैंसर रोधी प्रोटीन मौजूद थे.

कौन से हैं ये प्रोटीन?

इस टीम ने दो प्रोटीनों पर अपना ध्यान केंद्रित किया जो कि रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए ज़रूरी होते हैं. इनमें से पहला प्रोटीन IFNalpha2a है जो कि संक्रमण और कैंसर के खिलाफ़ काफ़ी प्रभावी है.  वहीं, दूसरा प्रोटीन macrophage-CSF है जो कि क्षतिग्रस्त उत्तकों (टिश्यू) को अपने आप ठीक करने के लिए विकसित किया जा रहा है. ऐसे में तीन अंडों से एक बार की खुराक पैदा की जा सकती है और मुर्गियां एक साल में तीन सौ अंडे दे सकती हैं. अगर पर्याप्त संख्या में मुर्गियां पैदा की जा सकें तो इन दवाइयों का व्यापारिक स्तर पर उत्पादन किया जा सकता है. लेकिन इस प्रक्रिया से दवाइयों के उत्पादन और उनके नियामक संस्थाओं की सहमति मिलने में दस से बीस साल का समय लगेगा.

READ  कौन हैं ये 'कॉन्सीक्रेटेड वर्जिन' जो ईश्वर को मानती हैं अपना पति

जानवरों के लिए भी दवाइयां

वैज्ञानिक इस शोध के बाद उम्मीद करते हैं कि मुर्गियों की मदद से जानवरों के लिए भी दवाइयां बनाई जा सकती हैं. इस तरह से उन दवाओं का उत्पादन किया जाएगा जो कि खेतों में काम करने वाले जानवरों के लिए एंटी-बायोटिक दवाइयों के विकल्प के रूप में इस्तेमाल की जा सकेंगी. इससे उन कीड़ों और कीटाणुओं के पैदा होने का जोख़िम भी कम होगा जो कि समय के साथ एंटी-बायोटिक का सामना करने में सक्षम हो जाते हैं. इसके साथ ही macrophage-CSF की मदद से पालतू जानवरों का इलाज़ करने में भी मदद मिलेगी.

फ़िलहाल, इन अंडों का शोध के लिए उत्पादन किया जा रहा है और बाज़ार में उपलब्ध नहीं हैं.

ब्रह्म मुहूर्त में जागते थे श्रीराम, जानें फायदे ( Brahma muhurta ke Fayde) , देखें यह वीडियो


हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें।

Spread the love
© Word To Word 2021 | Powered by Janta Web Solutions ®
%d bloggers like this:
Secured By miniOrange