भारत में खेती बाड़ी को भी स्मार्ट बनाएगा माइक्रोसॉफ्ट
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जमाने में सब कुछ “स्मार्ट” होता जा रहा है. यह शब्द अब सिर्फ आपके फोन के ही साथ नहीं जुड़ता, बल्कि अब कृषि के तरीके भी स्मार्ट होने लगे हैं. अच्छी बात यह है कि अब बड़ी बड़ी कम्पनियां भी इसमें अपने हाथ आजमाने की सोच रही हैं.
कृषि उत्पादों का दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक चीन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की प्रौद्योगिकी के जरिए किसानों को सशक्त बनाने में अग्रणी देश है. चीन अपने किसानों को लागत में कटौती करने और पैदावार बढ़ाने की युक्ति डिजिटल माध्यम से बताता है. किसानों को स्मार्टफोन पर सारी जानकारी मिल जाती है क्योंकि एआई का इस्तेमाल करके क्लाउड कंप्यूटिंग के माध्यम से किसानों के लिए आंकड़े जुटाए जाते हैं.
अब भारत ने भी एआई सेंसर लाने की ओर कदम बढ़ा दिया है. माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के अध्यक्ष अनंत महेश्वरी ने फसलों की उच्च पैदावार और बेतहर कीमत के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाकर भारत में छोटे जोत के किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है. भारतीय कृषि में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के लिए इकोसिस्टम का निर्माण करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के साथ काम कर रहा है.
तेलंगाना, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के कुछ गांवों में किसानों को कुछ ऑटोमेटेड वॉइस कॉल्स मिल रहे हैं, जिसमें उनको कपास की फसल पर कीटों के प्रकोप, मौसम की जानकारी और फसल किस चरण में है आदि की जानकारी दी जा रही है. कुछ कंपनियां किसानों को उपकरण व अन्य क्षमताओं की सेवा प्रदान कर रही हैं. जबकि माइक्रोसॉफ्ट देश में कृषि के लिए एआई आधारित बेहतर मॉडल बनाने के लिए जेनरिक क्रॉप प्रोटेक्शन व बीज कंपनी यूनाईटेड फॉस्फ़ोरस लिमिटेड और इंजीनियरिंग कंपनी समूह एस्कॉर्ट जैसे हितधारकों के साथ काम कर रहा है.
माइक्रोसॉफ्ट ने इंटरनेशनल क्रॉप रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर सेमी एरिड ट्रॉपिक्स (आईसीआरआईएसएटी) के सहयोग से एक एआई-सोइंग एप बनाया भी है. इस एप के माध्यम से किसानों को बुवाई के लिए उपयुक्त तिथि की सलाह दी जाती है. किसानों को अपने खेतों में किसी प्रकार का सेंसर लगाने की कोई जरूरत नहीं है या किसी प्रकार का पूंजीगत व्यय करने की आवश्यकता नहीं है. उनको सिर्फ एक फीचर फोन की जरूरत है जिससे वे उस पर संदेश प्राप्त कर सकें.
स्मार्ट कृषि के लिए शुरुआती बुनियादी ढांचा तैयार करने के बाद माइक्रोसॉफ्ट ने एआई आधारित इंटेलीजेंट क्लाउड और इंटेलीजेंट एज की मदद से स्वास्थ्य सेवा में अद्यतन प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने की ओर भी कदम बढ़ाया है. भारत में हर साल करीब 30 लाख लोग दिल की बीमारियों और तीन करोड़ लोग कोरोनरी रोग से पीड़ित होते हैं. देश में लोगों को हृदय रोग के खतरे से आगाह करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट इंडिया ने अपोलो हॉस्पिटल के साथ मिलकर एआई से लैस पहला हृदय रोग खतरा स्कोर का एपीआई भी (एप्लीकेशन प्रोग्राम इंटरफेस) लॉन्च किया है.