पाकिस्तान में चलेंगी गोबर से ये गाड़ियां
अंतर्राष्ट्रीय स्टार पर लगातार पेट्रोल की कीमतों में उतार चढ़ाव होता रहता है. इससे आम लोग हमेशा परेशान रहते हैं. पेट्रोल न केवल हमारी जेब को नुकसान पहुंचता है बल्कि इसके इस्तेमाल के बाद गाड़ियों से निकलने वाला जहरीला धुंआ हमारे सेहत और पर्यावरण को भी लगातार नुकसान पहुंचा रहा है. इसे देखते हुए दुनिया भर पेट्रोल का विकल्प तलाशने और ऊर्जा के अन्य साधन लगातार खोजे जा रहे हैं. इसकी एक बानगी पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी देखने को मिल रही है. हवा को साफ रखने और उत्सर्जन को कम करने के लिए कराची शहर ने गोबर से बसें चलाने का एलान किया है. ऐसी 200 बसों के लिए बीआरटी कॉरिडोर बनाया जाएगा.
इंटरनेशनल ग्रीन क्लाइमेट फंड की मदद से पाकिस्तान का सबसे बड़ा शहर कराची शून्य उत्सर्जन वाली ग्रीन बसें चलाएगा. 2020 से ये बसें बस रैपिड ट्रांजिट (बीआरटी) कॉरिडोर में चलाई जाएंगी. योजना चार साल में पूरी होगी. 200 बसों के लिए ईंधन प्रशासन जुटाएगा. कराची में चार लाख दुधारू भैसें हैं. प्रशासन इनका गोबर जमा करेगा. गोबर से बायो मीथेन बनाई जाएगी और बसों को सप्लाई की जाएगी.
कंप्यूटर प्रेजेंटेशन में बढ़िया लगने वाले इस प्रोजेक्ट के जरिए समंदर की सफाई भी दावा किया गया है. अधिकारियों के मुताबिक इस योजना से हर दिन 3,200 टन गोबर और मूत्र समुद्र में समाने से भी बचेगा. कराची शहर में फिलहाल गोबर साफ करने के लिए हर दिन 50 हजार गैलन पानी खर्च होता है.
यह योजना अच्छी है लेकिन जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान का इतिहास ऐसा है कि यहां डोनर्स प्रोजेक्ट फंडिंग का इस्तेमाल कभी भी पूरी तरह नहीं हो पाता. अधिकारियों के पास बसों की रखरखाव के लिए पूरा बजट नहीं है. अगर बसें खराब हुईं तो हो सकता है कि वह रिपेयर ही न हों. लेकिन अगर सब कुछ सही हुआ तो यह स्वच्छ परिवहन और स्वच्छ पर्यावरण की राह में एक बड़ा कदम होगा. बाद में इसे लाहौर, मुल्तान, पेशावर और फैसलाबाद जैसे शहरों में लागू किया जा सकता है.
भारत की ही तरह पाकिस्तान के भी ज्यादातर शहरों की प्रदूषण से हालत खस्ता है. अच्छे सार्वजनिक परिवहन के अभाव में लोग अपने निजी वाहन खूब इस्तेमाल करते हैं. इसकी वजह से उत्सर्जन भी होता है और बीमारियां भी. उत्सर्जन कम करने के लिए अच्छी क्वालिटी का पेट्रोलियम फ्यूल आयात करना भी बहुत जरूरी है. जबकि इसके विपरीत पकिस्तान में निम्न स्तर का ईंधन आयात किया जाता है. इसकी वजह यह है कि पकिस्तान की रिफाइनरियां सिर्फ थर्ड ग्रेड फ्यूल को ही साफ कर सकती हैं.
सिंध की प्रांतीय सरकार ने कराची शहर में बीते 10 साल में 50 से भी कम बसें चलाई हैं. इस दौरान प्राइवेट बसों और मिनी बसों की संख्या भी 25 हजार से घटकर आठ हजार हो गई. इसकी एक वजह कानून व्यवस्था भी है. जब कभी राजनीतिक या धार्मिक प्रदर्शन या बंद होते हैं तो बसों को आग लगाई जाती है. इस वजह से अब लोग नई बसें खरीदने में कतराते हैं. इससे कराची का सार्वजनिक परिवहन सिस्टम पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है और ज्यादातर लोग अब ऑनलाइन टैक्सी सर्विसेस और ऑटो रिक्शा इस्तेमाल करते हैं. इस वजह से यहाँ के शहरों में प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा है.
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