समंदर की गहराइयों में छुपा है आपका भविष्य का खाना

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बीते कुछ सालों से शोधकर्ता समुद्र में अंडर वॉटर एक्वा फार्म बना कर वहां शैवाल उगाने पर रिसर्च कर रहे हैं. इससे इंसान के भोजन में शामिल करने लायक शैवाल की प्रजाति विकसित करने की कोशिश की जा रही है. बाल्टिक सागर में समुद्र विज्ञानी अपनी जानकारी का फायदा उठाकर नये प्रोडक्ट पैदा करना चाहते हैं. वे अपनी खुद की बनाई हुई डेंगी लेकर समुद्र में बनाये गये अंडर वॉटर फार्म की ओरनिकल पड़ते है और बोट से वे कुछ ही मिनटों में अक्वा फार्म पर पहुंच जाते हैं.

शोधकर्ता बरसों से अल्गी की पैदावार पर रिसर्च कर रहे हैं. लैब में इसकी पौध को तैयार किया जाता है. अल्गी की संभावनाएं बहुत ज्यादा हैं और कभी कभी तो चौंकाने वाली भी होती हैं. एक समय तो चर्चा थी कि इसे ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.  लेकिन उसके लिए यह बहुत ही महंगा है. इसके बजाय उसमें पाए जाने वाले तत्वों से हम अपने लिये बहुत कुछ अच्छा कर सकते हैं. अल्गी की एक खाने वाली वेरायटी की मदद से जीव विज्ञानी कॉस्मेटिक बनाते हैं. यह त्वचा के लिए बहुत ही अच्छा होता है क्योंकि अल्गी बहुत सारा लिक्विड खुद में  संजो कर रख सकती हैं.

लेकिन कामयाबी की उम्मीदों के साथ शुरू हुआ परीक्षण असमय समाप्त हो सकता है. सखारीना लैटीसीमा अल्गी बदलते मौसम के साथ बहुत संवेदनशील है.  अभी तक तो यह ठीक ठाक प्रगति कर रही है. लेकिन यदि समुद्र और गर्म हो जाये तो यह इस अल्गी के लिए अच्छा नहीं होगा. चूंकि समुद्र का तापमान लगातार बढ़ रहा है, इसलिए वैज्ञानिक भी सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि क्या यहां अल्गी की कोई और वेरायटी उपजाई जाए ताकि कॉस्मेटिक का उत्पादन जारी रखा जा सके और अल्गी भी ब्रीड कर सकें.

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अल्गी के विपरीत मुसेल गर्मी पसंद करते हैं. इसलिए जीवविज्ञानी अब ब्लू मुसेल की पैदावार कर रहे हैं. यह कीमती खाद्य सामग्री है. मुसेल को गर्मी पसंद है. जैसे ही थोड़ी ज्यादा गर्मी हो जाये, मुसेल को पानी में ज्यादा खाना मिलने लगता है और वे बहतर तरीके से बढ़ सकते हैं. गोताखोर इस बात की जांच करते हैं कि पानी के नीचे मुसेल किस तरह बढ़ते हैं.  लेकिन बाल्टिक सागर जहाँ इनकी पैदावार होती है, का पानी पारदर्शी नहीं है. इसलिए नहीं कि वह गंदा है, बल्कि इसलिए कि इसमें बहुत ऑर्गेनिज्म रहते हैं. यह मुसेल के लिए पोषण का अच्छा आधार है. मुसेल रस्सी में लटके अच्छी तरह फलते फूलते हैं. मुसेल सात सेंटीमीटर तक बड़े होते हैं. वे इंसान के लिए पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्द्धक आहार हैं क्योंकि उनमें अच्छी मात्रा में वसा होती है. पानी के नीचे लटकी रस्सियों पर मुसेल की पैदावार दूसरे तरीकों से अधिक पर्यावरण सम्मत है. अब तक मुसेल को समुद्र तल से इकट्ठा किया जाता था. इस प्रक्रिया में समुद्र तल को नुकसान पहुंचता था. लेकिन इस तरह मुसेल की पैदावार करने से समुद्र को या यहाँ के इकोसिस्टम को कोई नुकसान नहीं पहुँचता है.

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