क्या सच में सामने आ गयी है अटलांटिस नगरी?
आज से तकरीबन 2400 साल पहले महान दार्शनिक प्लेटो ने एक ऐसे नगर के बारे में बताया था जिसके पास लगभग 10000 रथ, हाथी, घोड़ों, सांड और अत्याधुनिक तकनीकों से लैस एक विशाल सेना थी. इस पूरे नगर में जटिल नहरों का जाल बिछा हुआ था. और अब वैज्ञानिक दावा कर रहे हैं कि उन्होंने उस समय की विकसित सभ्यता के उन अवशेषों को खोज निकाला है. यहाँ किसी और नगर की नहीं बल्कि समुद्र के अंदर समा चुके अटलांटिस नगरी की बात हो रही है. वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने इस नगर के अवशेष को स्पेन के अटलांटिक तट पर खोज निकाला है. हालांकि एक आर्कियोलॉजिस्ट का मानना है कि पाए गए अवशेष किसी अन्य विकसित सभ्यता के भी हो सकते हैं. रिसर्चर भी खुलकर इसपर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं. इसका एक कारण यह भी है कि पिछले कुछ सालों में अटलांटिस नगरी को खोज निकालने के कई दावे किये जा चुके हैं. सबसे ज्यादा ये खोजें अंटार्कटिका, बोलीविया, टर्की, जर्मनी, माल्टा, कैरेबियन आदि क्षेत्रों में ही की गयी हैं.
कुछ लोग तो इस बात पर ही सवाल खड़े करते नजर आते हैं कि अटलांटिस का कभी कोई वजूद भी था. दरअसल प्लेटो ने इस नगर के बारे में 360 बी. सी. में बताते हुए इसका कुछ इस तरह से वर्णन किया है कि अटलांटिस एक अत्यंत समृद्ध नगरी थी. लेकिन अपनी अधिक से अधिक प्राप्त करने की आकांक्षाओं के कारण यह सभ्यता धीरे धीरे विनाश की तरफ बढ़ने लगी. इसके बाद देवताओं ने आज से लगभग 9000 साल पहले एक प्रलय के द्वारा इस नगर को नष्ट कर दिया. इसके अलावा क्रिशियस नाम के एक राजनीतिज्ञ ने एक प्राचीन इजिप्ट खेल के द्वारा इस नगर के बारे में सुना था.
इसके बाद सालों तक वैज्ञानिक प्लेटो की बातों को ध्यान में रखकर अपने रिसर्च करते रहे. लेकिन इस तरफ लोगों का असल ध्यान तब गया जब एक गुमनाम साइंटिस्ट इग्नेशियस डोनेली ने 1882 में इसपर अपनी एक किताब “Atlantis: The Antediluvian World” प्रकाशित की. इस किताब में इस बात की पुष्टि की गयी थी कि अटलांटिस नगरी वास्तव में मौजूद थी. इसके बाद वैज्ञानिकों ने इस नगरी के अवशेष खोजने में दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी.
इंग्लैण्ड के कुछ रिसर्चर्स ने प्लेटो के अटलांटिस के ऊपर लिखे गए आर्टिकल को पढ़ने के बाद एक लोकेशन स्पेन की चुनी जहाँ वे सेटेलाईट जैसे लैंडसेट 5 और लैंडसेट 8 की मदद से डाटा इकट्ठे कर रहे हैं. उन्होंने इसके अलावा एक और लोकेशन का पता लगाया है लेकिन इसे अभी वे राज ही रखना चाहते हैं. प्लेटो के डॉक्यूमेंट के अनुसार यह जगह मुंह के ठीक सामने जिसे ग्रीक भाषा में ‘the pillars of Heracles’ कहा जाता है वहीं मौजूद है. इस जगह पर एक बहुत ही विशाल द्वीप है जो पूरे लीबिया और एशिया के एक साथ मिलकर बनने वाले द्वीप से भी ज्यादा विशाल है. यही वजह रही कि रिसर्चरों ने अटलांटिस की खोज के लिए जिब्राल्टर संधि के पास स्थिर स्पेन के तटीय क्षेत्रों को चुना है. इस जगह पर उन्हें इस नगर के होने के कई आर्कियोलॉजिकल सबूत भी हाथ लगे हैं. इनमें विशालकाय घेरे के रूप में निर्मित अवशेष और मंदिर के अवशेष शामिल हैं. कुछ अवशेषों पर हरे और नीले रंगों के सील की कोटिंग की हुई मिली है. इन सारी संरचनाओं का जिक्र प्लेटो के वर्णन में मिलता है.
इसके साथ ही रिसर्चर्स को एक विशालकाय समुद्री दीवार भी मिली है जिसपर सुनामी के निशान हैं. जो उस प्राकृतिक आपदा की निशान बयान करते हैं जिसने इस नगर को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था. इस जगह से रिसर्चर्स ने मानव द्वारा निर्मित कंक्रीट, जो मंदिरों और अन्य अवशेषों से निकले हैं, उन्हें जांच के लिए लैब में भेजा. जिसकी जांच के बाद यह स्पष्ट हो गया कि ये सारे अवशेष आज से 10000 से 12000 साल पुराने हैं. हालांकि रिसर्चर्स ने इस बात को भी अब तक राज ही बना कर रखा है कि उन्होंने किस लैब में ये अवशेष जांच के लिए भेजे थे.
हालांकि इंग्लैण्ड की यह रिसर्च टीम पहली टीम नहीं है जो इस दक्षिणी स्पेन के क्षेत्र में अटलांटिस नगरी के होने का दावा कर रही है. इससे पहले भी नैशनल ज्योग्राफिक ने दावा किया था कि उनके नेटवर्क को स्पेन के इस क्षेत्र में अटलांटिस नगरी के होने के सबूत मिले हैं. इसके अलावा एलीना मारिया विशॉ, जो कि एंग्लो-स्पेनिश-अमेरिकन स्कूल ऑफ आर्कियोलॉजी की डायरेक्टर हैं वे भी ‘अटलांटिस इन एंडालूसिया’ नाम से एक किताब प्रकाशित करवा चुकी हैं जिसमें इस बात के सबूत दिए गए हैं कि स्पेन का यह डोनाना नेशनल पार्क का क्षेत्र किसी समय अटलांटिस नगरी हुआ करता था.
एक रिसर्च में यह सामने आया है कि डोनाना नेशनल पार्क समुद्री सतह से कई काफी ऊंचा है. यह ऊंचाई कई युगों जैसे नियोलिथिक और कॉपर युग से इसी तरह बनी हुई है. यह पार्क होलोसीन अवसादी चट्टानों के ऊपर स्थित है जो आज से 7000 साल पहले बननी शुरू हुई थी. इसके नीचे प्री-होलोसीन अवसादों की परतें मौजूद हैं जिनका निर्माण लगभग 1000 साल पहले शुरू हुआ था. अगर इंग्लैण्ड की इस रिसर्च टीम के अनुसार यहाँ मिले अवशेष 10-12000 साल पुराने हैं तो उनका निर्माण प्री-होलोसीन काल में हुआ होगा. लेकिन आर्कियोलॉजिस्ट्स के अनुसार हिसाब से अटलांटिस नगरी के होने का समय मैच नहीं होता है. क्योंकि यह समय पैलोलिथिक काल का था. इस समय धरती पर ऐसे मानव पाए जाते थे जो या तो शिकार करके या फिर जंगली फल आदि इकट्ठे करके अपना जीवन यापन करते थे. इस समय किसी भी तरह की विकसित सभ्यता के होने के पुख्ता प्रमाण अब तक नहीं मिले हैं.
प्लेटो ने अटलांटिस का जो वर्णन किया है उसमें यह भी लिखा है कि अटलांटिस नगरी को चारों तरफ से घेरते हुए एक पुल बना हुआ था. इसके साथ ही द्वीप का केन्द्रीय हिस्सा पत्थरों से बनी एक दीवार से घेरा गया था. प्लेटो के वर्णन से यह भी पता चलता है कि वहां जो पोसीडन मंदिर पाया गया है उसकी छतें हाथी के दांत से, दीवारें चांदी से और मंदिर के शिखर को सोने से बनाया गया था. लेकिन किसी भी रिसर्चर ने इस बात की छानबीन करने की जहमत अब तक नहीं ली है या शायद उन्हें अब तक ऐसा कुछ भी मंदिर के उस अवशेष में नहीं मिला है.
असल में प्लेटो के वर्णन को ध्यान से देखने पर ऐसा लगता है कि उन्होंने अटलांटिस के बारे में प्रचलित कई तरह के मिथकों को भी अपने वर्णन में शामिल कर लिया है जिसने इस नगरी के रहस्य को काफी उलझा कर रख दिया है. प्लेटो ने अपने वर्णन में यह जरूर बताया है कि यह एक अत्यंत विकसित सभ्यता थी जिसका देवताओं ने लोगों के लालच और बुरे कर्मों को देखते हुए विनाश कर दिया लेकिन उन्होंने इस बात का कही जिक्र नहीं किया है कि इस नगरी का एक भी आदमी इस प्राकृतिक कहर जिन्दा बचा हो. और अगर ऐसा नहीं हुआ तो इस नगर के खत्म हो जाने के 2400 साल के बाद वो कौन सा इंसान था जिसने सबको इस नष्ट हो चुके नगर की जानकारी दी?
खास बात यह है कि आज तक इस नगर को खोजने के जितने भी प्रयास किये गए हैं उनके लिए प्लेटो के वर्णन का ही सहारा लिया गया है. लोगों के लिए प्लेटो का अटलांटिस का यह वर्णन किसी खजाने तक पहुँचने के नक़्शे की तरह है जिसे सॉल्व करना उनके लिए एक गेम की तरह है. इस खोज में जो भी चीजें प्लेटो के बताए अनुसार होती हैं उन्हें तो वे दुनिया के सामने ले आते हैं लेकिन जो चीजें इस वर्णन से मैच नहीं होती हैं उनका वे जिक्र तक करना जरूरी नहीं समझते. यानी अटलांटिस नगरी का होना या ना होना आज भी उतना ही बड़ा रहस्य है जितना पहले था.