आज ही के दिन हुइ थी रिकॉर्डिंग कर सकने वाले फोनोग्राफी की खोज

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चलते फिरते, काम करते, दोस्तों के साथ, यहां तक सोते समय भी कई लोग संगीत सुनते रहना पसंद करते हैं. आज ही के दिन यह संभव हो पाया था कि किसी आवाज को रिकॉर्ड करके फिर सुना जा सके.

अमेरिकी वैज्ञानिक थॉमस एल्वा एडिसन के हाथों हुई फोनोग्राफी की खोज ने दुनिया के रंग ही बदल दिए. 21 नवंबर 1877 को एडिसन ने दुनिया के सामने पहला फोनोग्राफ पेश किया, जिस पर आवाज को रिकॉर्ड किया जा सकता था और बाद में सुना भी जा सकता था. असल में तो उनकी शोध टेलीग्राफ और टेलीफोन से जुड़ी थी. वह संदेशों को पेपर टेप पर उतारने और फिर उन्हें टेलीग्राफ के जरिए भेजने वाली मशीन तैयार कर रहे थे, तभी उन्होंने अपनी ही रिकॉर्ड की हुई आवाज को दोबारा सुना. यह टिन की परत से ढका हुआ सिलेंडर के आकार का उपकरण था जो आवाज को रिकॉर्ड कर फिर से सुना सकता था.

हालांकि इसके बाद 1878 में एडिसन तो अपने दूसरे अविष्कार ‘बिजली के बल्ब’ की दिशा में आगे बढ़ गए जबकि दूसरे वैज्ञानिकों ने फोनोग्राफ को विकसित करने का काम आगे बढ़ाया. 1887 में एडिसन दोबारा इस शोध पर लौटे और इस बार वैक्स सिलेंडर तकनीक इस्तेमाल की जिसे चार्ल्स टेंटर ने विकसित किया था. धीरे धीरे यह उपकरण मनोरंजन के बड़े माध्यम के रूप में सामने आया. समय के साथ इसका रूप और इसकी क्षमता बेहतर होती गई. फिर 1912 में एडिसन का डिस्क फोनोग्राफ बाजार में आया.

1920 के दशक में रेडियो के आ जाने के बाद फोनोग्राफ की लोकप्रियता घटने लगी. लोग रेडियो पर ही गाने सुन लिया करते थे. इस समय रिकॉर्डिंग की आधुनिकतम तकनीक और उपकरण मौजूद हैं, लेकिन इनका बीज आज ही के दिन बोया गया था.

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