मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट टीबी के मरीजों के लिए खुशखबरी, मिला रामबाण इलाज

Spread the love

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक टीबी की वजह से 2017 में 17 लाख लोगों की जान गई थी. यह दुनिया की उन सबसे घातक बीमारियों में हैं जो वायु में संक्रमण के जरिए फैलती हैं. यह संख्या मलेरिया से हर साल होने वाली मौतों से करीब तीन गुना ज्यादा है. इसके साथ ही एचआईवी के पीड़ितों की होने वाली मौत की सबसे बड़ी वजह भी टीबी ही है. विशेषज्ञ बताते हैं कि टीबी के मरीजों की ठीक ढंग से देखभाल नहीं होने के कारण यह तेजी से फैल रहा है. एचआईवी और इस तरह की दूसरी बीमारियों से अलग टीबी का इलाज अलग हो सकता है लेकिन इसके लिए छह महीने तक सख्ती के साथ इलाज कराना होता है, जिसमें कई दवाइयां रोज लेनी पड़ती हैं. दुनिया के कई हिस्से में दवाइयां ठीक से नहीं रखी जाती या फिर इलाज पूरा होने से पहले ही खत्म हो जाती हैं. इसके कारण दवा प्रतिरोध बढ़ जाता है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि मल्टीड्रग रेसिस्टेंट टीबी दुनिया के 117 देशों में है. एचआईवी जैसी बीमारियों के खिलाफ कोशिशों को हाईप्रोफाइल और मशहूर लोगों का समर्थन मिला है लेकिन टीबी को अब भी दुनिया के दूर दराज के अविकसित हिस्सों की बीमारी समझा जाता है. अकेले भारत में ही दुनिया के एक चौथाई टीबी मरीज रहते हैं. यह नई दवा भारत जैसे देशों के लिए उम्मीद की बड़ी रोशनी लेकर आई है. यह दवा काफी सस्ती भी है जो हर तबके के लोगों की पहुँच में होगी. टीबी की यह नई दवा 80 फीसदी मरीजों को ठीक करने में कामयाब रही है. ट्रायल के बाद दुनिया भर में टीबी के खिलाफ चल रही जंग में इसे “गेमचेंजर” कहा जा रहा है.

READ  आयुर्वेद टिप्स: किन चीजों को एक साथ खाने से बढ़ती हैं स्किन प्रॉब्लम

[amazon_link asins=’B07BS95BGM’ template=’ProductGrid’ store=’wordtoword-21′ marketplace=’IN’ link_id=’3048369c-dde8-11e8-be82-ab70b45bb7a2′]

बेलारूस के डॉक्टरों ने टीबी के मरीजों पर कई महीनों तक बेडाक्विलिन नाम की इस दवा का दूसरे एंटीबायटिकों के साथ इस्तेमाल किया जिसके नतीजे चौंकाने वाले रहे. जिन 181 मरीजों को नई दवा दी जा रही थी, उनमें 168 लोगों ने इसका कोर्स पूरा किया और उनमें से 144 मरीज पूरी तरह ठीक हो गए. यह सभी मल्टीड्रग रेसिस्टेंट टीबी के शिकार थे, यानी जिन पर टीबी की दो प्रमुख दवाएं बेअसर हो गई थीं. इस तरह के टीबी का पूरी दुनिया में बहुत तेजी से फैलाव हो रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है फिलहाल टीबी के महज 55 फीसदी मरीजों का ही सफल इलाज हो पाता है, जबकि इस शोध में 80 फीसदी लोग ठीक हो सके. बेलारूस में टीबी का शिकार होने वाले लोगों की दर दुनिया में सबसे ज्यादा है. बेलारूस के ट्रायल को पूर्वी यूरोप, अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया में भी आजमाया गया और यहां भी नतीजे वही रहे. इस हफ्ते के आखिर में हेग में ट्यूबरक्लोसिस कांफ्रेंस में ट्रायल के इन नतीजों को जारी किया जाएगा. दूसरे एंटीबायोटिक की तरह बेडेक्विलीन सीधे बैक्टीरिया पर हमला नहीं करती है, बल्कि इसकी बजाय वह उन एंजाइमों को निशाना बनाती है, जिन पर यह बैक्टीरिया अपनी ऊर्जा के लिए निर्भर है. सभी मरीजों में कुछ ना कुछ साइड इफेक्ट भी देखा गया लेकिन यह उतना गंभीर नहीं था जितना पहले सोचा गया था. पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश टीबी के खिलाफ पूरी दुनिया के लिए एक योजना बनाने पर सहमत हुए. इसके साथ ही जरूरी दवाओं को सस्ता बनाने पर भी काम होगा.

READ  क्या तापमान बढ़ने से कम होंगे कोरोना के मामले

[amazon_link asins=’B07C1SMW17′ template=’ProductGrid’ store=’wordtoword-21′ marketplace=’IN’ link_id=’1d7ede66-d835-11e8-a245-8b0d0e51674d’][amazon_link asins=’B01MTG9H8K’ template=’ProductGrid’ store=’wordtoword-21′ marketplace=’IN’ link_id=’2f223f85-d835-11e8-ad90-9f354c9e6b7e’]

ब्रह्म मुहूर्त में जागते थे श्रीराम, जानें फायदे ( Brahma muhurta ke Fayde) , देखें यह वीडियो


हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें।

Spread the love
© Word To Word 2021 | Powered by Janta Web Solutions ®
%d bloggers like this:
Secured By miniOrange