केबीसी सीजन 10 की पहली करोड़पति बिनीता की कहानी हर महिला के लिए है प्रेरणादायक

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बिनीता जैन KBC के 10वें सीज़न की पहली करोड़पति हैं. मगर इस गेम शो को जीतने से कहीं ज्यादा अहम है उनकी कहानी. औरतों को, बेटियों के मां-बाप को और हमारी सोसायटी को बिनीता जैन की कहानी से सीखना चाहिए.
असम की बिनीता जैन बाकी आम महिलाओं की तरह ही एक घरेलू औरत थी. जिनके पति काम के लिए घर से निकले और फिर कभी नहीं लौटे. एक दिन मालूम चला कि आतंकियों ने उन्हें अगवा कर लिया है. फिर कोई खबर नहीं आई. बहुत दिन इंतजार करने के बाद बिनीता को एहसास हुआ कि परिवार चलाने को खुद ही हाथ चलाने होंगे. उन्होंने ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया. जिम्मेदारियां निभाईं और अपने बच्चे बड़े किए.

क्या है बिनीता जैन की कहानी
हमारे यहां लड़की का रिश्ता तय करते वक्त लड़के की नौकरी, उसका खानदान, कुल-शील-गोत्र, जाति-धर्म देखते हैं. सोचते हैं, अभी जैसे सब कुछ अच्छा-अच्छा है वैसा ही चमकदार हमेशा रहेगा. कायदे से उनको कुछ और भी सोचना चाहिए. क्या वो अपनी बदौलत अपना घर चला लेगी? जब तक पति थे, बिनीता नहीं कमाती थीं. फिर जब पति नहीं रहे, तो उन्हें सबकुछ खुद करना पड़ा. अच्छी बात ये थी कि वो इतनी पढ़ी-लिखी थीं कि ये कर पाईं. इसीलिए बेटियों के लिए अच्छा पति-ससुराल खोजने से कहीं ज्यादा जरूरी है उन्हें पढ़ाना. क्योंकि बस पढ़ाई ही है, जो हमेशा साथ रहती है.
फरवरी 2003 में बिनीता जैन के पति लापता हो गए. बच्चे बहुत छोटे थे तब उनके. करीब डेढ़ साल तक उन्होंने पति के लौटने का इंतजार किया. उन्हें लौटा लाने का हर जतन किया. मगर कुछ हो नहीं पाया. फिर घर चलाने के लिए उन्होंने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. शुरुआत में बस सात बच्चे आए. बिनीता उन्हें अंग्रेजी, इतिहास, भूगोल जैसे विषय पढ़ाती थीं. अब तकरीबन 125 बच्चे उनके पास पढ़ने आते हैं. उनके पति की लाश नहीं मिली कभी. सिस्टम ने अपने सिस्टम मुताबिक कह दिया कि वो मर गए हैं. मगर बिनीता और उनके बच्चे सोचते हैं शायद किसी दिन वो लौट आएं. जब आपके साथ कुछ बुरा होता है, तो दिमाग चमत्कार पर ज्यादा यकीन करने लगता है. कुछ ऐसा ही बिनीता के साथ भी था.

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वह सवाल जिसने बिनीता को करोड़पति बनाया


करोड़पति बनने के लिए बिनीता से सवाल पूछा गया कि कौन सा केस था, जिसे भारत में सुप्रीम कोर्ट के 13 न्यायधीशों की सबसे बड़ी संविधान बेंच ने सुना था.

इसके ऑप्शंस थे:

1. गोलकनाथ केस

2. अशोक कुमार ठाकुर केस

3. शाह बानो केस

4. केशवानंद भारती केस

सही जवाब था- केशवानंद भारती बनाम केरल सरकार केस.

बिनीता के पास मदद के लिए कोई हेल्पलाइन नहीं बची थी. सही जवाब देने पर एक करोड़ जीत जातीं. जवाब गलत होता, तो जीती हुई 50 लाख की रकम के साथ धोना पड़ता. बस 3 लाख 20 हजार ही मिलते. उन्होंने रिस्क लिया और जवाब दिया. 1 करोड़ जीत गईं.
फिर सात करोड़ के लिए सवाल आया कि सबसे पहले शेयर टिकर किसने बनाया था. बिनीता को जवाब नहीं आता था, सो उन्हें गेम क्विट कर दिया. बाद में तुक्का लगाकर उन्होंने जो जवाब दिया, वो असल में सही जवाब था यानी एडवर्ड कैलहन.
आजादी के बाद सुप्रीम कोर्ट के सामने जितने केस आए, उनमें से सबसे अहम मामलों में गिनती होती है केशवानंद भारती बनाम केरल सरकार केस की.

क्या था वो केशवानंद भारती केस?


ये केस आजाद भारत के सबसे अहम मामलों में गिना जाता है. सुप्रीम कोर्ट के सामने सवाल था कि संसद के पास संविधान में संशोधन करने की जो ताकत है, क्या वो ताकत असीमित है? क्या संसद चाहे तो संविधान की किसी भी बात में बदलाव कर सकती है? क्या संसद चाहे तो बुनियादी अधिकार जैसे संविधान के मौलिक वादे में भी संशोधन कर सकती है? बहुत लंबी बहस चली. फिर 24 अप्रैल, 1973 को सुप्रीम कोर्ट के 13 जजों की बेंच ने ये ऐतिहासिक फैसला दिया. कहा, संसद चाहे तो संविधान के किसी भी हिस्से में संशोधन कर सकती है. बशर्ते कि वो संशोधन संविधान की बुनियादी बातों और उसके सबसे जरूरी तत्वों के खिलाफ न हो. माना जाता है कि कोर्ट के इस फैसले ने भारत के लोकतंत्र की आत्मा बचाई.

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ये केस जब सुप्रीम कोर्ट के सामने आया, उस समय न्यायपालिका और केंद्र सरकार के बीच चीजें बिल्कुल ठीक नहीं थीं. इंदिरा गांधी की सरकार जूडिशरी पर हावी होने की कोशिश कर रही थी. उनकी सरकार ताबड़तोड़ संशोधन करके अनियंत्रित ताकत हासिल करने में लगी थी.

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