लोहड़ी के साथ शुरू होता है त्योहारों का सिलसिला

Spread the love

लोहड़ी पंजाब राज्य का का प्रसिद्ध त्यौहार है, जो पंजाब के साथ साथ उसके पास के राज्यों में भी धूम-धाम से मनाया जाता है। पंजाब के लोगों के लिए यह त्यौहार बहुत ही महत्वपूर्ण होता है और हर जगह हर्ष और उल्लास से भरा होता है।
लोहड़ी को सिंधी लोग लाल लोई के नाम से मनाते हैं। भारत में यह कुछ उत्तरी राज्यों जैसे हरयाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश में भी धूम धाम से मनाया जाता है परन्तु पंजाब में इसकी मान्यता सबसे अधिक है।

लोहड़ी सर्दियों के मौसम का अंत दर्शाता है। इसलिए यह एक मौसमी त्यौहार है जो शीत ऋतू के जाने पर मकर संक्रांति के समय मनाया जाता है। यह किसानों के लिए भी एक महत्वपूर्ण त्यौहार और दिन होता है। लोहड़ी का त्यौहार मनाने वाले और इससे जुड़े हुए लोग लोहड़ी के त्यौहार को दुल्ला भट्टी की लोक कथा से भी जोड़ते हैं। यह विश्वास किया जाता है कि अकबर के काल में पिंडी भटियन का एक राजा था दुल्ला भट्टी जो एक लुटेरा था पर उसने बहुत सारी लड़कियों को गुलाम बाज़ार या दास बाज़ार से अपहरण किये हुए लोगों से बचाया था जो की एक महान बात थी।
इसके कारण लोहड़ी के त्यौहार में लोग दुल्ला भट्टी पर आभार व्यक्त करते हैं और उनका नाम पंजाब की लोक कथाओं में व्यापक रूप से वर्णित है। ज्यादातर लोहड़ी के गीत दुल्ला भट्टी के अच्छे कर्मों में आधारित है।

लोहड़ी गीत –
सुंदर मुंदरिये, होए
तेरा की विचारा, होए
दुल्ला भट्टी वाला, होए
दुल्ले दी धी वियाई, होए
सेर शकर पाई, होए

लोहड़ी का त्यौहार प्रतिवर्ष जनवरी 13 को मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन पारंपरिक गीतों और शानदार नृत्यों के साथ-साथ बेहतरीन दावत भी दिए जाते हैं। इस त्यौहार को खुशियों का त्यौहार माना जाता है जिसमें सभी दुखों को भुला कर ख़ुशी और प्रेम की नयी शुरुआत होती है। इस त्यौहार की शुरुआत अग्नि की पूजा करके की जाती है। इस दिन तरह-तरह के अनाज जैसे तिल की मिठाई, पॉपकॉर्न, मूंगफली और मुरमुरे को अग्नि में भेट चढ़ाया जाता है। साथ ही उस अग्नि के चारों ओर प्रार्थना करते हुए सभी लोग इन अनाज को अग्नि में फैंक कर भेंट करते हैं।

READ  यहाँ पीरियड के दौरान लड़कियां करती हैं ऐसा काम

पूजा के बाद सभी लोगों को प्रसाद में खासकर गुड, गज़क और रेवड़ी दी जाती है। किसी भी नवजात शिशु या नव विवाहित लोगों के लिए यह दिन बहुत ही मायने रखता है। वे इस दिन को पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं। इस दिन का एक मुख्य भोजन मक्के की रोटी या बाजरे की रोटी और सरसों का साग भी है. इसके बिना जैसे यह त्यौहार अधूरा सा होता है।

ब्रह्म मुहूर्त में जागते थे श्रीराम, जानें फायदे ( Brahma muhurta ke Fayde) , देखें यह वीडियो


हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें।

Spread the love
© Word To Word 2021 | Powered by Janta Web Solutions ®
%d bloggers like this:
Secured By miniOrange