फादर्स डे स्पेशल : बाबा का सहारा | शैलेन्द्र ‘उज्जैनी’

न दौलत चाहिए ,न शोहरत चाहिए…. जिनको पकड़कर चलना सीखा था….. फिर उन उँगलियों का सहारा चाहिए… अकेला हो गया

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ग़ज़ल : इस आशिकी को मौत से भी ठान लेने दो | राजीव रंजन झा

  ये दुनिया जानती है तो उसे पहचान लेने दो उसे हक है वो जो माने उसे बस मान लेने

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कहानी: दो रूपये कम हैं | शैलेन्द्र “उज्जैनी”

आज बाहरवी का नतीजा आने वाला है. सब जगह मंदिरों में छात्र-छात्राओं की भीड़ उमड़ी पड़ी है. हो भी क्यों

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कहानी : नेक दिल चोर | शैलेंद्र “उज्जैनी”

चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ था. एक अनजान सी बीमारी ने पूरे शहर को आगोश मे ले लिया था. सारे

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कविता : वो गुज़रा ज़माना याद आता है

अब भी वो गुज़रा ज़माना याद आता है, शाम जब भी बैठता हूँ तो दोस्त पुराना याद आता है। …..

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वैलेंटाइन स्पेशल: जानिए ‘कोई दीवाना कहता है’ के रचयिता कुमार विश्वास की प्रेम कहानी

कवि, कलाकार, प्रखर वक्ता, प्रोफेसर और राजनीतिज्ञ कुमार विश्वास को तो आप सभी जानते हैं पर हम आज आपको वैलेंटाइन

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