मैं…

मैं …मैं राहगीर हूँ, तो राह भी मैं ही हूँ. मैं श्रमिक हूँ, तो श्रम भी मैं ही हूँ. मैं

Read more

अगर इंसान की पूँछ होती

अगर इंसान की पूँछ होती, तो क्या अजब ये दुनिया होती, पूंछों मूंछों के चक्कर में,सारी दुनिया उलझी होती। अगर

Read more

न्याय की देवी…अब तो खोलो आँखों की ये पट्टी!

बिकती यहाँ है मानवता भी, सरेशाम बाजारों में बिकते यहाँ कानून के रक्षक, महज चंद हजारों में मिथ्या मे उलझानेवाली

Read more
© Word To Word 2021 | Powered by Janta Web Solutions ® Secured By miniOrange