जो आज बहार है कभी पतझड़ था वो…
हर एक बात पर इतना क्यों अकड़ रहा है वो, टूटा हुआ है अंदर से ज़र्रा-ज़र्रा झड़ रहा है वो।
Read moreहर एक बात पर इतना क्यों अकड़ रहा है वो, टूटा हुआ है अंदर से ज़र्रा-ज़र्रा झड़ रहा है वो।
Read moreअगर इंसान की पूँछ होती, तो क्या अजब ये दुनिया होती, पूंछों मूंछों के चक्कर में,सारी दुनिया उलझी होती। अगर
Read moreसालों सँभलना है एक पल में बहक जाना है, दिल क्या हाथों से रेत सर-सर सरक जाना है। ********* नाज़
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