मच्छर अब नहीं फैला सकेंगे मलेरिया, संक्रमण रोकेगा मलेरिया का वाहक बनने से

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वैज्ञानिकों ने मच्छरों के जनन अंगों में में पाए जाने वाले ऐसे सूक्ष्मजीव को खोज निकाला है जो इन्हें मलेरिया का कैरियर (वाहक) होने से बचाते हैं. यह सूक्ष्मजीव कीनिया की विक्टोरिया झील के किनारे पाए जाने वाले मच्छरों में बतौर संक्रमण के रूप में मिला है और यह मच्छरों को मलेरिया फैलाने से रोकता है.

सूक्ष्मजीव का नाम माइक्रोस्पोरिडिया एमबी

मच्छरों में मलेरिया होने से रोकने वाले इस सूक्ष्मजीव को माइक्रोस्पोरिडिया एमबी नाम दिया गया है. यह मच्छर की इम्यूनिटी को ताकतवर बनाकर उसकी मलेरिया परजीवी से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है. रिसर्च में सामने आया है कि ये सूक्ष्मजीव मच्छरों में मलेरिया के परजीवी प्लाज्मोडियम को पनपने से 100 फीसदी तक रोक लेते हैं. इस तरह वह मलेरिया पैदा करने वाले प्लाज्मोडियम का वाहक नहीं बन पाता.

क्या है माइक्रोस्पोरिडिया सूक्ष्मजीव

रिसर्च में सामने आया कि माइक्रोस्पोरिडिया सूक्ष्मजीव काफी हद तक कवक से मिलता जुलता है. हर 20 में से एक मच्छर में यह पाया जाता है. एक बार मच्छर में माइक्रोस्पोरिडिया सूक्ष्मजीव पैदा हो जाने पर यह उसके पूरे जीवनकाल तक रहता है इसलिए मलेरिया से बचाव के गुण भी इसमें हमेशा के लिए आ जाते हैं. किसी भी क्षेत्र के 40 फीसदी मच्छर इस सूक्ष्मजीव से संक्रमित हो सकते हैं. शोधकर्ता यह पता लगाने में जुटे हैं कि इतनी अधिक संख्या में मच्छर माइक्रोस्पोरिडिया सूक्ष्मजीव से क्यों संक्रमित हो रहे हैं. इनकी मदद से आने वाले दिनों में मलेरिया पैदा करने वाले सूक्ष्मजीव का उसे रोकने वाले सूक्ष्मजीव से मुकाबला देखना दिलचस्प होगा.

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