इस दिन है मेष संक्रांति, ये उपाय करने से पूरी होगी मनोकामना

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जूड़ शीतल के त्याेहार के एक दिन पूर्व सतुआनी मनाई जाती है. सतुआनी में दाल से बनी सत्तू खाने की परंपरा है. इसके अलावा इस दिन पेड़ में बासी जल डालने की भी प्रथा है. वैसे ताे जुड़ शीतल का त्याेहार बिहार में हर्षाेल्लास के साथ मनाया जाता है लेकिन इस पर्व का मिथिला में काफी महत्व है. इस दिन गुड़ अाैर सत्तू के साथ ऋतु फल एवं जल से भरा घड़ा के दान का विशेष महत्व है. लोग एक दिन पहले जल काे मिट्टी के घड़े या शंख में ढंक कर रख देते हैं. जुड़ शीतल के दिन सुबह उठकर घर में लाेग एक-दूसरे के ऊपर तथा चाराें अाेर इस जल का छींटा देते हैं. मान्यताअाें के अनुसार, बासी जल के छींटे से पूरा घर व आंगन शुद्ध हाे जाता है. कहते हैं जब सूर्य मीन राशि को त्याग कर मेष राशि में प्रवेश करता है ताे उसके पुण्यकाल में सूर्य अाैर चंद्रमा की रश्मियाें से अमृतधारा की वर्षा हाेती है जाे अाराेग्यवर्धक हाेता है. इससे आप गर्मियों में होने वाली कई तरह की बीमारियों से बचे रहते हैं. इसलिए इस दिन लाेग बासी खाना खाते हैं. इस दिन कामदा एकादशी का व्रत भी होता है. शाम के समय में लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु काे दाेला में अारुढ़ कर पूजा करने से इच्छाओं की पूर्ति हाेती है.

वेदों, पुरानों एवं शास्त्रों के अनुसार जब सूर्य मकर संक्रांति से मेष संक्रांति में प्रवेश करता है तो इस तिथि को मेष संक्रांति मनाई जाती है. मान्यता है जो व्यक्ति संक्रांति के दिन दान-पुन्य करता है उसे स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है. मेष संक्रांति के दिन भारत के अलग अलग हिस्सों में अनेकों पर्व मनाये जाते हैं. जिसमें बिहू, बैशाखी, नववर्ष, जुड़ शीतल आदि प्रमुख हैं. इस वर्ष 14 अप्रैल 2020 को जुड़ शीतल मनाई जाएगी.

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इस दिन बासी भात और बड़ी खाने की भी परम्परा है. अतः सभी लोग इस दिन बासी भात खाते है. इसके पीछे भी मान्यता है कि बासी भात खाने से जौंडिस नहीं होती है. जुड़ शीतल से एक दिन पूर्व पूरे भारत वर्ष में बैशाखी मनाई जाती है. किन्तु बिहार में सत्तूवान मनाई जाती है.

जिस तरह मकर संक्रांति नए फसल के पैदावार पर मनाई जाती है. उसी तरह मेष संक्रांति खरीफ की नए फसल की ख़ुशी में मनाई जाती है. हालाँकि, पर्व मनाने की प्रथा सभी क्षेत्रों में अलग-अलग है.
इसके पीछे धार्मिक मान्यता है कि जिस तरह मकर संक्रांति में धान की नई पैदावार होती है. ठीक उसी तरह अप्रैल के महीने यानि की मेष राशि में खरीफ फसल की पैदावार होती है. मकर संक्रांति के दिन दही चूड़ा खाने का रिवाज है. जिसमें चूड़ा नए धान की कुटी होती है. उसी प्रकार बैशाखी यानि की सत्तूवान में दाल से बनी सत्तू को खाया जाता है.

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