इस बार रावण जलेगा मगर अनोखे स्टाइल से, कैसे हो रहा है रावण का दहन जानिए यहां
8 अक्टूबर यानी दशहरे के दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले में हजारों पटाखे लगाए जाते हैं, लेकिन इस बार इनके पुतले तो जलेंगे लेकिन पटाखों का इस्तेमाल नहीं होगा. कोर्ट के आदेश के कारण दिल्ली में पटाखों पर बैन है. ऐसे में रामलीला में रावण दहन के समय पटाखों का इस्तेमाल नहीं होगा.
धार्मिक रामलीला कमेटी
पुतले तैयार कर लिए हैं, लेकिन पटाखे का इस्तेमाल नहीं होगा. इसके लिए पुतले के साथ-साथ एक बड़ी स्क्रीन लगाई गई है, जहां पुतले दहन के साथ पटाखे फूटते हुए दिखाई देंगे और साउंड इफेक्ट की मदद से पटाखों की जोरदार आवाज सुनाई देगी. इससे ऐसा लगेगा कि पटाखे फूट रहे हैं.
नव श्री धार्मिक रामलीला
यहां पर भी पुतले लगा दिए गए हैं, जहां साउंड इफेक्ट की मदद से जोरदार पटाखों की आवाज सुनाई देगी. इसके अलावा अगर ग्रीन क्रैकर्स मिल जाएंगे तो उसका इस्तेमाल किया जाएगा.
लव कुश रामलीला
यहां भी पुतले लगा दिए गए हैं, यहां भी स्क्रीन लगाई गई है, लेकिन यहां पर ग्रीन क्रैकर्स का इस्तेमाल किया जाएगा. ग्रीन क्रैकर्स पुराने पटाखों से चार गुना महंगा है. साथ ही इसकी आवाज भी कम है, इसलिए इस रामलीला में भी पुतले दहन के साथ-साथ साउंड इफेक्ट के जरिए पटाखों की जोरदार आवाज आएगी.
नोएडा में ऐसे गिरेगा प्लास्टिक का रावण
पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए नोएडा में प्लास्टिक से बने 20 फुट के रावण के पुतले को मंगलवार को पारंपरिक तौर पर जलाए जाने के बजाय यांत्रिक तरीके से ध्वस्त किया जाएगा. इस पुतले का निर्माण 500 किलोग्राम प्लास्टिक कचरे से किया गया है. इसे नोएडा के सेक्टर21-ए के स्टेडियम में लगाया जाएगा. इस पुतले का निस्तारण सीमेंट भट्ठे में किया जाएगा.
प्लास्टिक से बने रावण के पुतले को जलाया नहीं जाएगा. मुख्य अतिथि द्वारा एक बटन की मदद से इसे गिराया जाएगा और गिरे हुए पुतले को बाद में पर्यावरण के लिहाज से उचित निस्तारण के लिए सीमेंट की भट्ठी में ले जाया जाएगा. सीमेंट मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन ने ‘स्वच्छता ही सेवा’ के तहत विभिन्न कदमों के लिए जल शक्ति, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के साथ हाथ मिलाया है. दिल्ली सहित नोएडा उन पांच शहरों में से एक है जहां इस तरह के पुतले दशहरे के मौके पर बने हैं.