कहीं आप पर भी तो नहीं है पितृदोष, ऐसे करें पहचान और बचाव

Spread the love

13 सितंबर से पितृपक्ष शुरु हो गए हैं जो 28 सितंबर तक रहेंगे. श्राद्ध कर्म के दौरान लोग अपने पितरों के लिए पिंडदान, तर्पण, हवन और अन्न दान करते हैं.

पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का ये सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. बात अगर पितृदोष की करें तो व्यक्ति की कुंडली के नवम भाव को पूर्वजों का स्‍थान माना जाता है और नवग्रह में सूर्य स्‍पष्‍ट रूप से पूर्वजों के प्रतीक माने जाते हैं. जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य बुरे ग्रहों के साथ विराजमान होते हैं या फिर सूर्य पर बुरे ग्रहों की दृष्टि पड़ रही होती है उस कुंडली में पितृदोष होता है.

किनको लगता है पितृदोष-

पितरों की पूजा और श्राद्ध नहीं करने वालों को
पिता या माता की मृत्यु के बाद दूसरे जीवित परिजन का अनादर करने वालों को

पीपल के पेड़ पर पूर्वजों का वास माना जाता है. ऐसे में पीपल के पेड़ को काटने या फिर उसके नीचे अशुद्धि फैलाने से भी पितृदोष लगता है.

ऐसे करें पहचान-
घर में लगातार धन की कमी का बना रहना
घऱ के किसी सदस्य की शादी में बार-बार दिक्कतों का आना
परिवार में हमेशा कलह का वातावरण बने रहना
घर में हमेशा किसी ना किसी का बीमार बने रहना

करें ये उपाय

अमावस्या, पूर्णिमा या पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करें. ऐसा करने से पितृ तृप्त होकर उस व्यक्ति को धन और सुखी जीवन का आशीर्वाद देते हैं.

घर की महिलाएं रोजाना स्‍नान करने के बाद ही रसोई में भोजन बनाने के लिए जाएं. खाने की पहली रोटी गौ माता के लिए निकालकर उस पर गुड़ रखकर गाय को खिलाना चाहिए.

READ  मास शिवरात्रि में शिव पूजन का महत्त्व और विधि विधान यहाँ जानिये

घर में पीने के पानी के स्‍थान को हमेशा साफ-सुथरा रखें. इसे पितरों का स्‍थान माना जाता है.

ब्रह्म मुहूर्त में जागते थे श्रीराम, जानें फायदे ( Brahma muhurta ke Fayde) , देखें यह वीडियो


हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें।

Spread the love
© Word To Word 2021 | Powered by Janta Web Solutions ®
%d bloggers like this:
Secured By miniOrange