30 सालों से कोई नहीं तोड़ सका है यह कोड, अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी भी नाकाम
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के लेंगले स्थित मुख्यालय में स्थापित 12 फीट की फ्रेम लोगों के लिए पहेली बनी हुई है। 1800 अक्षरों में मौजूद इसके 5 कोड पिछले 30 सालों से कोई ब्रेक नहीं कर सका है। 1990 में इस स्कल्प्चर को अमेरिकी कलाकार जिम संबोर्न ने कॉपर से बनाया था। इसे क्रिप्टोस भी कहा जाता है। क्रिप्टोग्राफर्स सीक्रेट राइटिंग की तकनीक का अध्ययन या विज्ञान है।
97 अक्षरों वाली लाइन पर सभी तरकीबें बेअसर
सीआईए के कोड ब्रेकर और दूसरे विशेषज्ञ अब तक इसके सिर्फ तीन ही कोर्ड ब्रेक कर सके हैं। चौथा और पांचवां अभी भी नहीं सुलझा है। विशेषज्ञों ने किताबों की कई तरकीबें अपनाईं। 97 अक्षरों की लंबी लाइन वाले क्रम में ट्रांसपोजीशन, बाइनरी, पोलीलैफेबेटिक, सब्स्टिट्यूशन और मोरे तकनीक भी बेअसर रही।
क्रिप्टोस की स्थापना के 8 साल के अंदर ही पहले तीन कोड को सुलझा लिया गया था, लेकिन इसके बाद किसी को सफलता नहीं मिली। यह इसलिए कि पहले दो पार्ट का एक दूसरे सीधा संबंध रखते हैं। लिहाजा जो क्रिप्टोग्राफी का बेसिक ज्ञान रखता है, इसके पहले पार्ट को सुलझा सकता है।
फ्रेम का तीसरा पार्ट पहले दोनों पार्ट से एडवांस है, लेकिन चौथे पार्ट में सभी को संघर्ष करना पड़ा है, जिसे सुलझा पाना अभी तक असंभव बना हुआ है। बीते 30 सालों में सीआईए, एनएसए और दूसरे स्वतंत्र कोड ब्रेकर एक्सपर्ट्स इसे सुलझाने के लिए जूझ रहे हैं। इनके अलावा पूरी दुनिया के कोड ब्रेकर समूह इस पर काम कर रहे हैं।
कुछ सालों से कई लोग इसके निर्माता जिम से मिल रहे हैं, ताकि कुछ संकेत इसके कोड सुलझाने का मिले, लेकिन यह दिनों-दिन और मजबूत चुनौती पेश कर रहा है। ऐसा भी नहीं है कि जिम क्रिप्टोग्राफी के मास्टरमाइंड हैं जिन्होंने ऐसा फ्रेम बनाया। यह उनका भी पहला क्रिप्टोस फ्रेम है।