युवराज सिंह ने लिया अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास, बोले सब कुछ सोचा हुआ नहीं होता

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भारत को 2011 का वर्ल्ड कप जिताने में अहम भूमिका निभाने वाले युवराज सिंह ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया। युवराज ने 2011 के वर्ल्ड कप में 9 मैच में 90.50 के औसत से 362 रन और 15 विकेट लिए थे। वे उस वर्ल्ड कप में प्लेयर ऑफ द सीरीज भी चुने गए थे।

2011 वर्ल्ड कप के दौरान युवराज कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। हालांकि, उन्होंने किसी को इस बात का पता नहीं चलने दिया था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टर फाइनल से पहले डॉक्टरों ने उनको नहीं खेलने की सलाह दी थी, लेकिन वे न सिर्फ मैदान में उतरे, बल्कि भारत की जीत के हीरो भी रहे। उन्होंने उस मैच में 57 रन की पारी खेली थी।

 

वर्ल्ड कप जीतना मेरे लिए सपने की तरह था : युवराज

संन्यास का ऐलान करते हुए उन्होंने कहा, मैं बचपन से ही अपने पिता के नक्शेकदम पर चला और देश से खेलने के लिए उनके सपने का पीछा किया। मेरे फैन्स जिन्होंने हमेशा मेरा समर्थन किया, मैं उनका शुक्रिया अदा नहीं कर सकता। 2011 वर्ल्ड कप जीतना, मैन ऑफ द सीरीज मिलना सपने की तरह था। इसके बाद मुझे कैंसर हो गया। यह आसमान से जमीन पर आने जैसा था। उस वक्त मेरा परिवार, मेरे फैन्स मेरे साथ थे।

कभी सोचा नहीं था कि देश के लिए खेलूंगा

उन्होंने कहा, ‘एक क्रिकेटर के तौर पर सफर शुरू करते वक्त मैंने सोचा नहीं था कि कभी भारत के लिए खेलूंगा। लाहौर में 2004 में मैने पहला शतक लगाया था। टी-20 वर्ल्ड में 6 गेंदों में 6 छक्के लगाना भी यादगार था। 2014 में टी-20 फाइनल मेरे जीवन का सबसे खराब मैच था। तब मैंने सोच लिया था कि मेरा क्रिकेट करियर खत्म हो गया है। तब मैं थोड़ा रुका और सोचा कि क्रिकेट खेलना शुरू क्यों किया था।’
 

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ छक्का लगाकर वापसी की

‘डेढ़ साल बाद मैंने टी-20 में वापसी की। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आखिरी ओवर में छक्का लगाया। 3 साल बाद मैंने वनडे में वापसी की। 2017 में कटक में मैंने 150 रन बनाए, जो मेरे करियर का सबसे बड़ा वनडे स्कोर है।’

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कभी खुद पर भरोसा नहीं खोया

‘मैंने हमेशा खुद पर भरोसा रखा। कोई मायने नहीं रखता कि दुनिया क्या कहती है। मैंने सौरव की कप्तानी में करियर शुरू किया था। सचिन, राहुल, अनिल, श्रीनाथ जैसे लीजेंड के साथ खेला। जहीर, वीरू, गौतम, भज्जी जैसे मैच विनर्स के साथ खेला।’

हमेशा सोचा हुआ नहीं होता 

संन्यास के फैसले को लेकर पूछे गए सवाल पर युवराज ने कहा, ‘सफलता भी नहीं मिल रही थी और मौके भी नहीं मिल रहे थे। 2000 में करियर शुरू हुआ था और 19 साल हो गए थे। उलझन थी कि करियर कैसे खत्म करना है। सोचा कि पिछला टी-20 जो जीते हैं, उसके साथ खत्म करता तो अच्छा होता, लेकिन सबकुछ सोचा हुआ नहीं होता। जीवन में एक वक्त आता है कि वह तय कर लेता है कि अब जाना है।’

 

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