मिलिए मोना लिसा की बहन मोन्ना वान्ना से

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मोना लिसा की मुस्कुराहट दुनिया भर में मशहूर है, लेकिन वैसी ही मुस्कुराहट वाली एक और पेंटिंग इस दुनिया में मौजूद है. वह है मोन्ना वान्ना की. विशेषज्ञ इन दिनों मोना लिसा और मोन्ना वान्ना के बीच संबंधों का पता करने में जुटे हैं.

मशहूर पेंटर लियोनार्डो दा विंची की मशहूर पेंटिंग मोना लिसा के बारे में तो दुनिया जानती है. विंची के इस मास्टर पीस समेत तमाम पेटिंग्स फ्रांस का लूव्र म्यूजियम में सहेज कर रखी हुई हैं. लेकिन इन दिनों म्यूजियम के विशेषज्ञ मोना लिसा की तरह ही दिखने वाली चारकोल ड्राइंग से बनी पेंटिंग “मोन्ना वान्ना” की जांच कर रहे हैं. मोन्ना वान्ना की सूरत हूबहू मोना लिसा जैसे दिखती है बस फर्क इतना है कि उसके शरीर पर कपड़े नहीं है.

अर्धनग्न महिला की यह पेंटिंग पेरिस के कॉन्डे म्यूजियम में रखी हुई है. मोन्ना वान्ना की पेंटिंग एक उच्च दर्जे का काम है जो लियोनार्डो का ही हो सकता है. मोन्ना वान्ना की पेंटिंग साल 1862 से पुनर्जागरण आर्ट से जुड़े कॉन्डे म्यूजियम के संग्रह में रखी हुई है. यह म्यूजियम एक जमाने में फ्रांस के कुलीन परिवारों का घर हुआ करता था. मोन्ना वान्ना ऑयल पेटिंग का नमूना है और इसके हाथ और शरीर की काया करीब-करीब मोना लिसा जैसी ही है.

यह पेटिंग ऊपर छोर पर बाएं से शुरू होकर नीचे दाहिने ओर आती है. यह तरीका अमूमन बाएं हाथ वाले कलाकार अपनाते हैं. गौर करने वाली बात है कि लियोनार्डो भी बाएं हाथ से पेंटिंग करते थे. लियोनार्डो का जन्म इटली के फ्लोरेंस में साल 1452 में हुआ था और उनका देहांत 1519 में फ्रांस में हुआ. साल 2019 में लियोनार्डो की 500वीं पुण्यतिथि है. फिलहाल इस पेंटिंग को लेकर जांच जारी है और विशेषज्ञ किसी भी निर्णय पर नहीं पहुंच पाएं हैं.

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कौन थी मोना लिसा

इस बात को लेकर बहुत अटकलें लगती हैं कि 16वीं सदी की शुरुआत में वह लडकी कौन थी जिसकी तस्वीर लियोनार्दो द विंची ने इस पेंटिंग में उकेरी है. एक थ्योरी यह है कि उनके सामने इस पोट्रेट के लिए महिला और पुरूष दोनों ही बैठे थे. लेकिन सबसे प्रचलित किस्सा यह है कि मोना लिसा असल में लीसा दे जियोकोंदो थीं जो फ्लोरेंस के एक सिल्क कारोबारी की पत्नी थी.

1519 में लियोनार्दो द विंची की मौत के बाद मोना लिसा की पेंटिंग फ्रांस के राजाओं के प्राइवेट कलेक्शन का हिस्सा बन गयी. फ्रांस की क्रांति के बाद इसे बड़े सम्मान के साथ नेपोलियन के शयनकक्ष में जगह दी गयी. लेकिन 1815 से इसे पेरिस के मशहूर लूव्रे म्यूजियम में रखा गया है जहां जाकर कोई भी इसे देख सकता है. हां इसके लिए टिकट जरूर लेना होगा.

मोना लिसा की जुड़वां

मैड्रिड के म्यूसेओ दे प्रादों में कुछ समय से मोना लिसा की जुड़वां पेंटिंग रखी गयी है. 2012 में पता चला कि इस पेंटिंग को मोना लिसा के साथ ही बनाया गया था. यह पेंटिंग हर मायने में हूबहू मोना लिसा जैसी नजर आती है. बताया जाता है कि इस पेंटिंग को फ्रांसिस्को मेल्जी से बनाया था, जो लियोनार्डो दा विंची के ही शिष्य थे.

जब गायब हो गयी मोना लिसा

1911 में मोना लिसा को लूव्रे म्यूजियम से चुरा लिया गया. इसके पीछे हाथ था पेरिस में रहने वाले एक इतालवी व्यक्ति का. वह इसे वापस इटली ले जाना चाहता था. दो साल तक यह पेंटिंग गायब रही, लेकिन पुलिस ने आखिरकार चोर को गिरफ्तार कर लिया. पेंटिंग वापस लूव्रे म्यूजिम में आयी और फिर इसे देखने वालों का तांता लग गया.

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हमलों की शिकार रही है मोनालिसा

मोनालिसा को कई बार नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गयी. एक व्यक्ति ने तो इस पर तेजाब फेंक दिया था जिससे पेंटिंग को बहुत नुकसान हुआ. इसके बाद वोलिविया के सैलानी ने इस पर पत्थर फेंका. इन्हीं घटनाओं के मद्देनजर मोना लिसा को बुलेट प्रूफ कांच से ढक दिया गया. यही वजह है कि 2009 में जब एक सैलानी ने पेंटिंग पर मग फेंका को उसे कुछ नुकसान नहीं हुआ.

मुस्कान का राज

न जाने कितने वैज्ञानिकों और इतिहासकारों ने इस पेंटिंग का विश्लेषण किया है और हैरान करने वाली जानकारियां पेश की हैं. लेकिन मोना लिसा की रहस्यमयी मुस्कान का राज 2008 में पता चला. दरअसल यह पेंटिंग की खास तकनीक “स्फुमाटो” का कमाल है. दा विंची ने पेंट की कई पतली परतों के जरिए इसे मुमकिन बनाया. उन्होंने ब्लर इफेक्ट और रंगों के खास संगम ने इस पेंटिंग को अमर बन दिया.

मोना लिसा ना सिर्फ कला जगत की सबसे नामचीन पेंटिंगों में शुमार होती है बल्कि इसने बहुत से कलाकारों को भी प्रेरित किया है, जिनमें जोसेफ बॉयस से लेक एंडी वारहोल तक के नाम लिये जा सकते हैं. 20वीं सदी की मीडिया आइकन होने की वजह आप उसे साहित्य, संगीत और विज्ञापन सब जगह पायेंगे. बीते पांच सौ से यह मुस्कराती महिला आगे भी सबको अपनी तरफ खींचती रहेगी.

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