इस एक चीज को खाकर सौ साल तक जी सकते हैं आप

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जब से इस दुनिया की शुरुआत हुई है इंसान लगातार खुद को अमर करने के लिए तरह तरह के हथकंडे आजमाता रहा है. आज भी विज्ञान लगातार इंसानों की उम्र को बढाने और लगातार जवान बनाये रखने की दवाओं की तलाश करने में जुटा हुआ है. लेकिन इस तालाश को शायद अब मुकाम मिल गया है. क्योंकि खोजकर्ताओं की नजर  जापान के ओकिनावा सूबे पर केंद्रित हो गई है.

पूर्वी चीन सागर में फैला जापान का ओकिनावा परफेक्चर या सूबा कई द्वीपों से मिलकर बना है. यहां पर सबसे ज़्यादा बुज़ुर्ग रहते हैं. यहां की आबादी में बुज़ुर्गं का अनुपात बाक़ी दुनिया से ज़्यादा है. साथ ही ओकिनावा के लोग बाकी दुनिया के लोगों के मुकाबले ज्यादा जीते हैं. दुनिया भर में 100 साल की उम्र को पार करने वाले लोगों की तादाद यही पर सबसे ज्यादा है. मज़े की बात ये है कि उम्र के आख़िरी पड़ाव पर भी ओकिनावा के बुज़ुर्ग काफ़ी सक्रिय रहते हैं. उनकी सेहत ठीक रहती है, और वो दूसरों पर आश्रित नहीं होते. ओकिनावा में हर एक लाख आबादी पर 68 लोग शतजीवी होते हैं. यानी सौ साल से ज़्यादा जीते हैं. अमरीका के मुक़ाबले ये अनुपात तीन गुना है. जापान में यूं भी औसत आयु ज़्यादा है, फिर भी 100 साल से ज़्यादा जीने में ओकिनावा के लोगों का औसत बाक़ी जापानियों से 40 प्रतिशत अधिक है.

क्या है राज़ लम्बी आयु का?

दुनिया भर के वैज्ञानिक कई दशकों से ओकिनावा के लोगों की लंबी उम्र का राज़ तलाश रहे हैं. कभी उनके जीन की पड़ताल होती है, तो कभी खान-पान की. पिछले कुछ साल में हुए रिसर्च में वैज्ञानिकों ने ओकिनावा के लोगों के खान-पान पर ध्यान केंद्रित किया है. ओकिनावा के लोगों के खाने में प्रोटीन के मुक़ाबले कार्बोहाइड्रेट की मात्रा काफ़ी ज़्यादा होती है. इसमें भी वो लोग शकरकंद को कुछ ज़्यादा ही खाते हैं. ओकिनावा के लोगों को ज़्यादातर कैलोरी शकरकंद से मिलती है. यूँ तो एटकिंस और पैलियो डाइट दुनिया भर में चर्चित हो रही है. फिर भी इस बात के पक्के सबूत नहीं जुटाए जा सके हैं कि ज़्यादा प्रोटीन वाला खाना लंबे समय तक खाते रहने से कोई ख़ास फ़ायदा होता है. तो क्या, ओकिनावा के लोगों का कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन का 10:1 का अनुपात ही लंबी उम्र का राज़ है? हालांकि ये कहना अभी जल्दबाज़ी होगी कि आप लंबी उम्र जीना चाहते हैं तो प्रोटीन छोड़कर ज़्यादा कार्बोहाइड्रेट खाना शुरू कर दीजिए. लेकिन, अब तक हुई रिसर्च ये ज़रूर कहती हैं कि हमें इस ख़याल पर संजीदगी से सोचना चाहिए.

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कार्बोहाईड्रेड से क्या फायदा है

ज़्यादा कार्बोहाइड्रेट वाला खाना खाने से हमारे शरीर में ऐसी कई प्रतिक्रियाएं होती हैं, जो उम्र बढ़ने की रफ़्तार धीमी करती हैं. साथ ही, ज़्यादा कार्बोहाइड्रेट वाली ख़ुराक हमें बढ़ती उम्र के साथ होने वाली बीमारियां जैसे कैंसर, अल्ज़ाइमर या दिल की बीमारियों से भी बचाती है. ओकिनावा में लोग लंबी उम्र तक जीते हैं. लेकिन, वो बुढ़ापे में अशक्त और दूसरे पर आश्रित नहीं होते. यहां के बुज़ुर्ग अपने जीवन के आख़िरी दौर तक सक्रिय रहते हैं. वे औसतन 97 साल की उम्र तक अपना सारा काम ख़ुद करते हैं. उम्र के साथ आने वाली कई बीमारियां यहां के बुज़ुर्गों पर असर नहीं करती हैं. कैंसर, डायबिटीज़, डिमेंशिया और दिल की बीमारियां यहां के लोगों को कम होती हैं.

जीन का भी है प्रभाव

कुछ वैज्ञानिक इसके लिए ओकिनावा के लोगों के जीन्स को भी ज़िम्मेदार मानते हैं. ओकिनावा के लोग लंबे समय तक बाक़ी दुनिया से अलग-थलग रहे हैं. इससे उनका जेनेटिक प्रोफाइल अलग है. ओकिनावा के लोगों में एपीओई4 नाम के एक जीन को बेहद कम पाया गया है. ये जीन दिल की बीमारियों के लिए ज़िम्मेदार होता है. इससे अल्ज़ाइमर भी होता है. ओकिनावा के लोगों में एफओएक्सओ3 नाम का एक जीन अक्सर पाया जाता है, जो हमारी पाचन क्षमता को बेहतर तरीक़े से नियमित करता है. ये शरीर में कोशिकाओं के विकास पर भी कंट्रोल रखता है. माना जाता है कि इसी जीन की वजह से बढ़ती उम्र का असर कम होता है और कैंसर जैसी बीमारियां नहीं होती हैं. हालांकि, ओकिनावा के लोगों की लंबी उम्र का राज़ सिर्फ़ जीन में छुपा हो ऐसा नहीं माना जाता. यहां के लोग धूम्रपान कम करते हैं. ज़्यादातर लोग खेती या मछली मारने का काम करते हैं. इससे उनकी अच्छी ख़ासी कसरत हो जाती है.

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ओकिनावा का समाज ऐसा है कि लोग एक-दूसरे से क़रीब से जुड़े हुए हैं. इसीलिए उम्र के आख़िरी दौर तक बुज़ुर्ग, बाक़ी दुनिया से अलग-थलग नहीं पड़ते. उन्हें तनाव कम होता है. अकेलेपन का शिकार नहीं होना पड़ता. अकेलेपन से एक दिन में 15 सिगरेट पीने के बराबर नुक़सान होता है. पर फिर भी इन सबके बावजूद भी यही माना जाता है कि ओकिनावा के लोगों के खान-पान में ही उनकी लंबी उम्र का राज़ छुपा है.

हमारी तरह ओकिनावा के लोगों का मुख्य भोजन चावल नहीं है. वो शकरकंद ज़्यादा खाते हैं. शकरकंद यहां 17वीं सदी में नीदरलैंड से समुद्री कारोबार के ज़रिए पहुचा था. इसके अलावा ओकिनावा के लोग हरी-पीली सब्ज़ियां और सोया उत्पाद भी ख़ूब खाते हैं. ओकिनावा के लोग सुअर का मांस, मछली और दूसरे तरह के मांस भी खाते हैं. लेकिन, इनकी मात्रा पूरे खाने में बहुत ही कम होती है.  कुल मिलाकर, यहाँ का परंपरागत भोजन हरी सब्ज़ियों से भरपूर होता है. इसमें सभी ज़रूरी विटामिन और खनिज होते हैं. लेकिन, इसमें कैलोरी कम होती है. कम कैलोरी वाला खाना खाने से शरीर में जहरीले तत्व कम जमा होते हैं.

कम प्रोटीन से होता है फ़ायदा

जब लोग कम प्रोटीन वाला खाना खाते हैं, तो कोशिकाओं को कम अमीनो एसिड मिलता है. इससे वो पुराने प्रोटीन को ही प्रॉसेस करने लगती हैं. इन बदलावों का असर उम्र बढ़ने पर पड़ता है. उम्र बढ़ने के पीछे वजह कोशिकाओं में प्रोटीन का जमा होना है. ख़राब प्रोटीन का ये जमावड़ा कई बीमारियों को दावत देता है. लेकिन, जब हम कम प्रोटीन लेते हैं, तो इस जमा प्रोटीन की सफ़ाई हो जाती है. इससे उम्र बढ़ने का असर कम होता है.प्रोटीन कम खाने से शरीर को नुक़सान कम होता है. लेकिन, 65 साल की उम्र के बाद हमें ज़्यादा प्रोटीन लेना शुरू करना चाहिए. साथ ही अगर हम पौधों से मिलने वाला प्रोटीन लेते हैं, तो वो हमारे खाने को और भी पोषक बनाता है. डेयरी उत्पादों और मांस से मिलने वाले प्रोटीन के बनिस्बत वेजीटेरियन प्रोटीन ज़्यादा फ़ायदेमंद होता है. ओकिनावा के लोग शायद इसीलिए लंबी उम्र जीते हैं, क्योंकि वो फल और सब्ज़ियां ज़्यादा खाते हैं.

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